जाँच के क्रम में दरभंगा टावर स्थित एक प्रतिष्ठान विजय होटल से एक बाल श्रमिक को विमुक्त कराया गया।
विमुक्त बाल श्रमिक को बाल कल्याण समिति, दरभंगा के समक्ष उपस्थापित कर निर्देशानुसार उसे बाल गृह में रखा गया है।
बाल एवं किशोर श्रम (प्रतिषेध एवं विनियमन) अधिनियम-1986 के तहत नियोजक के विरुद्ध संबंधित थाने में प्राथमिकी दर्ज करने की कार्रवाई की जा रही है।
श्रम अधीक्षक ने बताया कि बाल श्रमिकों से किसी भी दुकान या प्रतिष्ठान में कार्य कराना बाल एवं किशोर श्रम (प्रतिषेध एवं विनियमन) अधिनियम 1986 के अंतर्गत गैरकानूनी है तथा बाल श्रमिकों से कार्य कराने वाले व्यक्तियों को 20 हजार रुपये से 50 हजार रुपये तक का जुर्माना और दो वर्षों तक के कारावास का प्रावधान है।
इसके अतिरिक्त माननीय सर्वोच्च न्यायालय के द्वारा एम.सी. मेहता बनाम तमिलनाडु सरकार 1996 में दिए गए आदेश के आलोक में नियोजकों से 20 हजार प्रति बाल श्रमिक की दर से अलग से राशि की वसूली की जाएगी, जो जिलाधिकारी के पदनाम से संधारित जिला बाल श्रमिक पुनर्वास सह कल्याण कोष में जमा किया जाएगा।
इस राशि को जमा नहीं कराने वाले नियोजक के विरुद्ध एक सर्टिफिकेट केस या नीलाम पत्र वाद अलग से दायर किया जाएगा।
धावा दल टीम के सदस्य के रूप में दिलीप कुमार, श्रम प्रवर्तन पदाधिकारी हायाघाट सह प्रभारी दरभंगा सदर, किशोर कुमार झा, श्रम प्रवर्तन पदाधिकारी, बेनीपुर, विष्णुधर शर्मा, श्रम प्रवर्तन पदाधिकारी, केवटी, आदित्य गौरव, चाइल्डलाइन के सदस्य अमरेश कुमार झा, आश्रय ट्रस्ट स्वयंसेवी संस्था के सदस्य निवेश कुमार औऱ समीर पॉल, पुलिस केंद्र दरभंगा से एंटी ह्यूमन ट्रैफिकिंग यूनिट के तीन पुलिसकर्मी शामिल थे।
धावा दल की टीम के द्वारा आज दरभंगा शहर के हज़मा चौक, नाक न0-06, नाका न0-05, खानकाह चौक, दरभंगा टावर, मिर्ज़ापुर, आयकर चौक, रेडियो स्टेशन, दरभंगा स्टेशन, दोनार चौक से वीआईपी रोड होते स्थित सभी दुकान एवं प्रतिष्ठान में सघन जांच की गयी तथा सभी नियोजको से किसी भी बाल श्रमिक को नियोजित नहीं करने हेतु एक शपथ पत्र भरवाया गया।
श्रम अधीक्षक के द्वारा बताया गया कि धावा दल नियमित रूप से प्रत्येक सप्ताह संचालित होगा तथा दरभंगा शहर के साथ-साथ सभी अनुमंडल मुख्यालय एवं प्रखंड मुख्यालयों में भी धावा दल संचालित किया जाएगा तथा बाल श्रमिकों को नियोजित करने वाले नियोजकों के विरूद्ध कठोर कानूनी कार्रवाई की जाएगी।