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एम्स और संस्कृत शोध संस्थान को लेकर राष्टपति से मिले सांसद

संवाद 

सांसद डॉ. गोपालजी ठाकुर ने आज राष्टपति भवन में महामहिम राष्टपति द्रौपदी मुर्मू से मुलाकात करने के बाद बताया कि दरभंगा में एम्स के जल्द निर्माण एवं मिथिला संस्कृत स्नातकोत्तर अध्ययन एवं शोध संस्थान के जीर्णोद्धार हेतु ज्ञापन सौंपा है। उन्होंने महामहिम को जगत जननी मां जानकी की पवित्र भूमि और मिथिला के केंद्र दरभंगा आने का आग्रह भी किया। सांसद डॉ. ठाकुर ने अमृतकाल में पेश ऐतिहासिक आम बजट के लिए भी महामहिम को बधाई दिया। सांसद डॉ. ठाकुर ने कहा कि दरभंगा एम्स उत्तर बिहार के करोड़ों लोगों के लिए स्वास्थ्य के क्षेत्र में एक वरदान है। परंतु बिहार सरकार के असहयोगात्मक रवैया एवं अटकाने, लटकाने एवं भटकाने वाली नीति के कारण अब तक इस एम्स का निर्माण संभव नहीं हो सका है। उन्होंने महामहिम को जानकारी देते हुए कहा कि बिहार में खासकर उत्तर बिहार और मिथिला में बेहतर स्वास्थ्य सुविधा उपलब्ध कराने की दृष्टिकोण से देश के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी द्वारा वर्ष 2015-16 के आम बजट में बिहार में दूसरे एम्स निर्माण को मंजूरी प्रदान किया गया था। वहीं सांसद डॉ. ठाकुर ने मिथिला के केंद्र दरभंगा में अवस्थित अंतरराष्ट्रीय ख्याति प्राप्त 'मिथिला संस्कृत स्नातकोत्तर अध्ययन एवं शोध संस्थान' के विराट इतिहास से महामहिम को अवगत कराते हुए कहा कि विश्व की सबसे प्राचीनतम भाषा संस्कृत के व्यापक प्रचार-प्रसार, शोध, संरक्षण और संवर्धन हेतु स्थापित इस संस्थान की आधारशिला वर्ष 1951 में स्वतंत्र भारत के प्रथम राष्ट्रपति देशरत्न डॉ. राजेंद्र प्रसाद द्वारा रखा गया था, लेकिन 72 वर्ष बीत जाने के बावजूद प्रथम राष्ट्रपति द्वारा शिलान्यास किए गए प्रशासनिक भवन में बिहार सरकार की उदासीनता और मिथिला के प्रति द्वेष के कारण एक भी ईंट नहीं जोड़ा जा सका है। सांसद ने कहा कि इस संस्थान के स्थापना के समय महाराजाधिराज डॉ. कामेश्वर सिंह ने 62 एकड़ का विशाल भूखंड एक समृद्ध, ऐतिहासिक और सांस्कृतिक महत्व वाले साहित्यिक, शैक्षणिक एवं शोध संस्थान के लिए दान दिए थे। उन्होंने कहा कि वर्तमान में संस्थान के पाण्डुलिपि अनुभाग में संकलित एवं संरक्षित प्राचीन बहुमूल्य हस्तलिखित पांडुलिपियों की संख्या लगभग 12500 है, जो पूरे बिहार में सर्वाधिक है। इस शोध संस्थान द्वारा 25 खंडों में प्रकाशित बौद्ध संस्कृत ग्रंथावली देश एवं विदेशों में विख्यात है, जो देश की कीर्ति को बढ़ा रही है। प्राच्य विधा एवं संस्कृत के पुनर्जागरण की दिशा में, अनुसंधान एवं उच्चस्तरीय प्रकाशन के उद्देश्य से निर्मित इस संस्थान में विद्वानों द्वारा मिथिलाक्षर, बंगलाक्षर, देवनागरी, संस्कृत आदि लिपियों में वेद, पुराण, न्याय, धर्मशास्त्र, ज्योतिष, तंत्र, कर्मकांड, दर्शन एवं अन्य विषयों पर लगभग 12500 तालपत्र, भोजपत्र आदि पांडुलिपियां मौजूद है। वहीं प्राच्य विधा एवं आधुनिक विषयों के लगभग 27 हजार से अधिक दुर्लभ ग्रंथ एवं उच्चस्तरीय शोध पत्रिकाएं यहां उपलब्ध है। उन्होंने महामहिम को इस संस्थान के जीर्णोधार करने का आग्रह किया। सांसद डॉ. ठाकुर के साथ मधुबनी के सांसद डॉ. अशोक कुमार यादव और राज्यसभा सांसद विवेक ठाकुर भी थे।

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