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एथलीट भगवानी दादी गोल्ड मेडल जीतने के बाद लौंटी भारत, कही ये बड़ी बात...

संवाद 

 जीवन में आगे बढ़ने और अपनी पहचान बनाने की कोई उम्र नहीं होती है. इसके लिए जरूरी है तो वह केवल आपकी मेहनत, लगन और जज्बा, जो कि आपको किसी बहुत आगे तक ले जाता है. इतना ही नहीं यह सपनों को हकीकत में भी बदल देता है और ऐसा ही कमाल 95 साल की एथलीट भगवानी देवी ने कर दिखाया है. 

उन्होंने पोलैंड में तीन गोल्ड अपने नाम कर भारत का नाम दुनियाभर में रोशन किया है. वर्ल्ड मास्टर्स एथलेटिक्स इनडोर चैंपियनशिप 2023 का 9वां सीजन पोलैंड में आयोजित किया गया था. इसमें भगवानी देवी ने अपनी प्रतिभा का शानदार प्रदर्शन कर तीन गोल्ड मेडल जीत लिए.

भगवानी देवी देश की राजधानी दिल्ली के नजफगढ़ इलाके की रहने वाली हैं. उन्होंने 9वीं वर्ल्ड मास्टर्स एथलेटिक्स इनडोर चैंपियनशिप में तीन गोल्ड मेडल जीतकर पोलैंड में इतिहास रच दिया है. अब भगवानी देवी वापस अपने देश भारत लौट आईं है. गोल्ड मेडलिस्ट दादी के भारत आने पर लोगों ने उनका भव्य स्वागत किया. 

वहीं, भगवानी देवी ने लोगों से बातचीत करते हुए अपने एक्सपीरियंस को शेयर किया है. उन्होंने लोगों को अपनी जर्नी से एक खास संदेश दिया है, जो कि युवाओं और किसी भी उम्र के खिलाड़ियों का हौसला बढ़ाएगा. भगवानी देवी ने लोगों से अपील करते हुए कहा कि 'माता-पिता अपने बच्चों को खूब पढ़ाएं-लिखाएं और दौड़ाएं, इससे ये बच्चे देश के लिए मेडल जीतकर दुनिया में उसके गौरव को और बढ़ाएं'.

कामयाबी पाने के लिए उम्र की कोई सीमा नहीं होती : भगवानी देवी

एथलीट भगवानी देवी ने वर्ल्ड मास्टर्स एथलेटिक्स इंडोर चैंपियनशिप में 60 मीटर की रेस, शॉट पुट और डिस्कस थ्रो प्रतियोगिता में यह गोल्ड मेडल जीते हैं. इन तीनों कॉम्पटीशन में भगवानी देवी को कोई मात नहीं दे सका. भगवानी देवी ने 95 साल की उम्र में यह कारनामा करके युवाओं के लिए एक मिसाल पेश की है. 

कैसे की करियर की शुरुआत
भगवानी देवी मूल रूप से हरियाणा के खेकड़ा में जन्मी है. लेकिन दिल्ली में रहती हैं. केवल 12 साल की उम्र भगवानी देवी की शादी हो गई थी और जब वह तीस साल की हुई तो उनके पति का निधन हो गया था. उन्होंने अकेले ही अपने बच्चों का पालन-पोषण किया. लेकिन एक दिन अचानक ही उनकी 4 साल की बेटी की मृत्यु हो गई. इस तरह से भगवानी देवी अपनी किस्मत से जूझते हुए आगे बढ़ती रहीं.

उन्हें दिल्ली के नगर निगम में नौकरी करने का मौका मिला. इनके 3 पोते हैं, जिसमें उनके बड़े पोते विकास डागर भी खेल से जुड़ हुए हैं. विकास ने कई सारे टूर्नामेंट में भाग लिया है. पारा एथलेटिक्स में विकास कई मेडल अपने नाम कर चुके हैं. 

इसके साथ ही विकास को खेल रत्न के अवॉर्ड से भी नवाजा गया था. पोते को देखते हुए भगवानी देवी की रुचि भी खेल के प्रति बढ़ने लगी और उन्होंने इतिहास रच डाला.

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