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दुनिया में मची भारत की धूम: ग्लोबल इकनॉमिक पॉवर हाउस बना इंडिया, ऑनलाइन वर्ल्ड में मजबूत मौजूदगी ने विश्व को चौंकाया

संवाद 

चीन को पीछे छोड़कर भारत आबादी के मामले में वर्ल्ड का नंबर एक देश बन गया है। कुछ लोग यह मानते हैं कि यह रिकॉर्ड बनाने से जमीनी हालात में बहुत ज्यादा परिवर्तन नहीं होगा। लेकिन जिस तरह की सूचनाएं आ रही हैं, उसने पूरी दुनिया को चौंका दिया है। 

भारत ने वैश्विक मंच पर अपनी उपस्थिति दर्ज कराई है, वह भी भारी भरकम तरीके से। ऐसा इसलिए कहा जा रहा है क्योंकि भारत आर्थिक तौर पर भी ग्लोबल पॉवरहाउस बनकर उभर रहा है और ऑनलाइन वर्ल्ड में इंडिया की मजबूत मौजूदगी ने पूरी दुनिया को चौंका दिया है।

कैसे ग्लोबल इकनॉमिक पावर हाउस बना भारत

भारत की आबादी की तरह ही भारत की अर्थव्यवस्था भी तेजी से आगे बढ़ रही है। इसके अलावा कैसी ऐसी बातें हैं भारत को वैश्विक अर्थव्यस्था का पावरहाउस बनाती है। दो सेंचुरी पहले नेपोलियन ने कहा था- चीन को सोने दो, जब वह जागेगा तो दुनिया को हिला देगा। चीन जागा और उसने दुनिया को हिला दिया। वर्तमान में धरती का पूरा आर्थिक परिदृश्य ही बदल गया है। चीन ने काफी हद तक भू-राजनैतिक संतुलन बदला है और यहां तक कहा जा सकता है अपनी आबादी के कारण चीन ने पृथ्वी के पर्यावरण को भी बदल दिया है। अब भारत भी 1.4 अरब की आबादी के साथ वहीं सब करने जा रहा है। इसके लिए बस थोड़ा इंतजार करना होगा और पूरी दुनिया की निगाहें सिर्फ और सिर्फ भारत की तरफ होंगी।

भारत और चीन की आबादी में बेसिक अंतर क्या है

भारत और चीन की आबादी में बेसिक अंतर की बात करें तो भारत की आबादी नौजवान है। रिपोर्ट्स बताती हैं कि चीन की आबादी की औसत आयु 30 से 60 वर्ष है जबकि भारत की औसत आबादी 0-40 वर्ष के बीच है। यह बहुत बड़ा अंतर है, जो भारत को चीन से कहीं आगे ले जाता है। अब आप कह सकते हैं कि जब भारत के लोग वैश्विक अर्थव्यस्था में अपना योगदान देंगे तो इन 1.4 अरब लोगों की भूमिका दूसरे किसी भी देश से कहीं ज्यादा होगी। भारत अब उस स्थिति में पहुंच चुका है, जहां कुछ समय पहले चीन था। भारत पहले से ही वहां मौजूद था लेकिन दुनिया इग्नोर कर रही थी लेकिन अब ऐसा नहीं हो पाएगा।

भारत की ग्रोथ सच में देखने लायक है

भारत की आर्थिक प्रगति ने भी चीन को पछाड़ना शुरू कर दिया है। इसके कई कारण हैं। भारत ने 10 साल पहले से अपनी आर्थिक प्रगति में तेजी पकड़ी है। 

इस पीरियड में चीन ने 10 फीसदी की दर से विकास किया है तो भारत की विकास दर 7 प्रतिशत रही है। लेकिन इस 7 प्रतिशत की ग्रोथ में लिविंग स्टैंडर्ड भी शामिल है। अब से 12 वर्ष पहले जो हालात चीन के थे भारत ने 2019 में वह हासिल कर लिया है। यह तब हुआ, जब पूरी दुनिया आर्थिक संकट से गुजर रही थी। जीडीपी ग्रोथ की बात करें तो 2007 में चीन की जीडीपी बिग डील थी तो 2023 में भारत की जीडीपी चर्चा का विषय है। 

सबसे बड़ी बात यह है कि भारत ने भीषण गरीबी से निकलकर यह ग्रोथ पाई है। 2018 में यह आंकलन किया गया था कि भारत 2022 तक अपनी गरीबी को काफी हद तक दूर कर लेगा। कोरोना महामारी के बावजूद भारत ने जिस तरह से गरीबी को दूर करने में सफलता पाई है, वह चौंकाने वाला है।

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