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छह अप्रैल को मनाएंगे हनुमान जन्मोत्सव, शनि और राहु-केतु के प्रभाव से बचने इस दिन करें ये उपाय

संवाद 

 रामनवमी पर्व धूमधाम से मनाने के बाद अब श्रीराम के भक्त हनुमान का जन्मोत्सव मनाए जाने की तैयारी जोरशोर से की जा रही है। इस साल गुरु आदित्य योग में हनुमान जन्मोत्सव छह अप्रैल को मनाया जाएगा। यह संयोग 12 साल बाद बन रहा है। 

मंदिरों में सुबह प्रतिमा पर चोला श्रृंगार, पूजन, महाआरती की जाएगी। अनेक मंदिरों में महाभंडारा का आयोजन किया जाएगा। गाजे, बाजे और झांकियों के साथ शोभायात्रा निकाली जाएंगी। मंदिरों में सुंदरकांड और हनुमान चालीसा की चौपाइयां गूंजेगी।

मंगल, शनि और राहु-केतु के प्रभाव से बचने करें ये उपाय

ज्योतिषाचार्य डा.दत्तात्रेय होस्केरे के अनुसार बृहस्पति प्रत्येक राशि में एक साल तक गोचर करता है। 12 साल बाद गुरु आदित्य योग के संयोग में हनुमान जन्मोत्सव मनाया जा रहा है। मंगल, शनि और राहु-केतु के प्रभाव से बचने के लिए हनुमान चालीसा, सुंदरकांड का पाठ करना चाहिए।

हस्त नक्षत्र में वैशाख माह का शुभारंभ

चैत्र माह की पूर्णिमा को हनुमान का जन्म हुआ था, इस साल छह अप्रैल को सूर्योदय के समय पूर्णिमा तिथि है, इसलिए इस दिन जन्मोत्सव मनाएंगे। शाम को पूर्णिमा समाप्त होने के बाद वैशाख माह का शुभारंभ होगा। गुरुवार को हस्त नक्षत्र में वैशाख माह शुरू हो रहा है। इसे पवित्र माह माना जाता है। चूंकि वैशाख माह में तेज गर्मी पड़नी शुरू हो जाती है, इसलिए मिट्टी का घड़ा, फल का दान करने, तीर्थयात्रा करने और भगवान विष्णु की पूजा करने का विशेष महत्व है।

ऐसे करें पूजा और व्रत

हनुमान जन्मोत्सव पर व्रत रखने वाले पूर्व रात्रि से ही ब्रह्मचर्य का पालन करें। जमीन पर सोएं, ब्रह्म मुहूर्त में उठकर प्रभु श्रीराम, माता सीता एवं हनुमान का स्मरण करें। स्नान करके हनुमान चालीसा, बजरंग बाण, सुंदरकांड का पाठ करें। चना, गुड़, लड्डू का भोग अर्पित करें। पूजन सामग्री में गेंदा गुलाब, कनेर, सूरजमुखी के लाल या पीले फूल, सिंदूर, केसर चंदन अर्पित करें।

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