सुप्रीम कोर्ट में समलैंगिक विवाहों के लिए कानूनी मंजूरी देने की याचिकाओं पर जारी सुनवाई के बीच केंद्र ने राज्यों को पत्र लिखकर इस मामले पर उनके विचार मांगे हैं।
केंद्र ने इससे पहले सुप्रीम कोर्ट से अनुरोध किया था कि समलैंगिक जोड़े के लिए शादी करने के अधिकार की मांग करने वाली याचिकाओं पर सुनवाई में सभी राज्यों को पक्षकार बनाया जाए।
कोर्ट की ओर से इस अनुरोध को खारिज करने के बाद केंद्र ने कहा है कि उसे राज्यों के साथ विचार-विमर्श करने और कोर्ट के सामने उनके विचार रखने की अनुमति दी जानी चाहिए। केंद्र ने कहा है कि तब तक मामले में आगे की सुनवाई को स्थगित कर दिया जाना चाहिए।
केंद्र ने बुधवार को कोर्ट को बताया कि उसने 18 अप्रैल को राज्यों को पत्र भेजकर समलैंगिक शादियों को मान्यता देने के अनुरोध वाली याचिकाओं में उठाए गए मौलिक मुद्दे पर उनसे टिप्पणियां मांगी हैं।