संवाद
लाइसोसोमल स्टोरेज डिसऑर्डर सोसायटी ऑफ इंडिया (एलएसडीएसआई) ने बताया कि राष्ट्रीय दुर्लभ रोग नीति, 2021 में समूह 3 (ए) के तहत वर्गीकृत होने के बाद भी फैब्री रोग से पीड़ितों को उपचार में आर्थिक मदद नहीं मिल रही है। एलएसडीएसआई ने स्वास्थ्य मंत्री को पत्र लिखकर इस संबंध में हस्तक्षेप की मांग करते हुए कहा कि दुर्लभ रोगों के लिए नई राष्ट्रीय नीति के तहत फैब्री रोग को अधिसूचित रोग के तौर पर स्वीकारने के लिए उत्कृष्टता केंद्रों (सीओई) को दिशानिर्देश जारी किए जाएं। एंजाइम की कमी के कारण होने वाले इस रोग में हृदय और गुर्दे का कामकाज प्रभावित होता है। देश में 40,000 में एक व्यक्ति इससे पीड़ित है। एलएसडीएसआई के मुताबिक फैब्री रोग से पीड़ित किसी 10 किलो के बच्चे के इलाज के लिए 20 लाख रुपये के वार्षिक खर्च की जरूरत होती है।