उत्तरप्रदेश में नगर निकाय चुनाव होने को हैं. लेकिन इससे पहले UP की पार्टी राष्ट्रीय लोक दल (RLD) का क्षेत्रीय पार्टी का दर्जा छिन गया. बीते दिन सोमवार को चुनाव आयोग ने ऐलान किया कि रालोद का उत्तर प्रदेश से और भारत राष्ट्र समिति (BRS) से आंध्र प्रदेश में क्षेत्रीय पार्टी का दर्जा वापस ले लिया.
चुनाव आयोग के इस एक्शन के बाद यूपी के नगर निकाय चुनाव में राष्ट्रीय लोकदल के चुनाव चिह्न पर भी संकट मंडरा रहा है. क्षेत्रीय राजनीतिक दल का दर्जा खत्म होने के बाद यूपी नगर निकाय चुनाव में RLD ने अपने चुनाव चिह्न हैंडपंप को लेकर पत्र लिखा है.
रालोद के चुनाव चिन्ह पर संकट
रालोद की ओर से राज्य निर्वाचन आयुक्त को पत्र लिख कर कहा गया है कि हमारे चुनाव चिह्न हैंडपंप को राष्ट्रीय लोकदल के प्रत्याशियों के लिए सभी सीटों पर आरक्षित करें. इस पत्र के बाद हैंडपंप चुनाव चिह्न को आरक्षित करने का फैसला अब राज्य निर्वाचन आयुक्त ही करेंगे. वे अगर रालोद की इस अर्जी को स्वीकार कर लेंगे तो उनके सभी प्रत्याशी एक चुनाव चिन्ह पर चुनाव लड़ सकते हैं. अगर चुनाव आयुक्त ने उनकी यह अर्जी नहीं स्वीकारी तो उम्मीदवारों को हैंडपंप मिले इसकी कोई गारंटी नहीं है.
चुनाव आयोग का एक्शन रालोद के लिए बना मुसीबत
आपको बता दें कि बीते दिन यानी सोमवार शाम निर्वाचन आयोग ने तीन राष्ट्रीय पार्टियों और दो क्षेत्रीय पार्टियों से दर्जा वापस लिया था. वहीं एक पार्टी को राष्ट्रीय पार्टी का दर्जा दिया था. निर्वाचन आयोग ने राष्ट्रवादी कांग्रेस (NCP), तृणमूल कांग्रेस (TMC) और भारतीय कम्यूनिस्ट पार्टी (CPI) का राष्ट्रीय पार्टी का दर्जा वापस लिया. इसके अलावा आम आदमी पार्टी को अब राष्ट्रीय पार्टी का दर्जा दिया गया था. साथ ही क्षेत्रीय दलों में निर्वाचन आयोग ने भारत राष्ट्र समिति (BRS) से आंध्र प्रदेश में और राष्ट्रीय लोक दल (RLD) से UP में क्षेत्रीय दल का दर्जा वापस लिया है.
क्यों हुआ ये एक्शन?
चुनाव आयोग के मुताबिक इन दलों को जो दर्जा दिया गया था, उसके हिसाब से ये दल चुनावों में उतना रिजल्ट नहीं ला पाए, इसलिए यह दर्जा वापस लिया गया है. राष्ट्रीय पार्टी का दर्जा खोने के मामले में TMC, NCP और CPI पर एक्शन लेते हुए चुनाव आयोग ने कहा था कि इन्हें 2 संसदीय चुनावों और 21 राज्य विधानसभा चुनावों के पर्याप्त मौके दिए गए थे. इसके बाद इन दलों के प्रदर्शन को रिव्यू किया गया और फिर राष्ट्रीय पार्टी का दर्जा वापस ले लिया गया. हालांकि ये पार्टियां आगे के चुनावी चक्र में प्रदर्शन के आधार पर राष्ट्रीय पार्टी होने का दर्जा वापस हासिल कर सकती हैं.
2012 और 2014 के चुनावों में RLD का खराब प्रदर्शन
2012 में हुए उत्तर प्रदेश विधानसभा के चुनाव और 2014 में हुए लोकसभा के आम चुनाव में पार्टी के चुनावी प्रदर्शन के आधार पर, चुनाव आयोग ने रिव्यू शुरू किया था.
इस रिव्यू में चुनाव आयोग ने पाया कि 2012 के उत्तर प्रदेश विधानसभा चुनाव में पार्टी ने 403 सीटों में से मात्र 9 सीटों पर जीत हासिल की थी और 2.33% वोट हासिल किए थे और 2014 के लोकसभा चुनावों में उत्तर प्रदेश से पार्टी ने कोई सीट नहीं जीती और सिर्फ 0.86% वोट ही हासिल किए.
पार्टी के इस प्रदर्शन को रिव्यू करने के बाद आयोग ने यह पाया कि उत्तर प्रदेश राज्य में राज्य पार्टी के रूप में मान्यता के लिए रालोद निर्धारित किसी भी मानदंड से मेल नहीं खाती है. बता दें कि चुनाव आयोग के उक्त एक्शन के बाद रालोद अब एक पंजीकृत लेकिन गैर-मान्यता प्राप्त राजनीतिक दल रह गया है.