वह इकलौता बेटा था। एक ही शहर में वह अपनी गंभीर रूप से बीमार अकेली मां से करीब 19 सालों से दूर एक आलीशान बंगले में अकेला रहता था, और बीमार मां भी उसी शहर में एक अलग आलीशान बंगले में तन्हा रहती थी। कभी कभार मिलना जुलना हो जाया करता था पर दोनों अलग ही रहते थे।
बीमार मां अपने इलाज के लिए विदेश भी जाया करतीं थीं और जरूरत पड़ने पर यहां के अस्पतालों में भी कई बार भर्ती रहीं और अस्पताल से छुट्टी के बाद फिर से वे तन्हा रहा करतीं थीं।
माँ बेटे दोनों सियासत में थे।दोनों एक ही पार्टी में अत्यंत प्रभावशाली थीं। इसी बीच एक ऐसी घटना हुई कि बेटे गुस्से में एक 'मोदी' सरनेम के खिलाफ कुछ ऐसी अशोभनीय टिप्पणी कर दी जो उस वर्ग के लोगों को रास नहीं आई और उस सरनेम के व्यक्ति ने कोर्ट में नालिस कर दी। एक लंबे अंतराल के इस मामले में कोर्ट ने सजा सुना दी और बेटे को बंगला खाली कर के मां के पास लौटना पड़ा।
इस तरह बेटे को 'मोदी' नाम पर लांछन लगाने के कारण 19 साल अपनी बीमार वृद्धा मां के घर पर लौटना पड़ा,और यह कहा जा सकता है कि दोनों मां बेटे को एक ही छत के नीचे लाने और 19 सालों बिछड़े मां-बेटे को मिलाने का अप्रत्यक्ष रूप से श्रेय मोदी सरनेम को ही जाता है। यह घटना इस बात को प्रमाणित करती है कि जाने अनजाने में ही सही, पर मोदी है तो मुमकिन है।