ग्रामवासी इस तरह से लगे हैं कि बाबा भी जानकर प्रसन्न हो जाएंगे.
400 साल पुराने तरेत पाली मठ के महंत सह पुजारी सुदर्शनाचार्य महाराज ने बताया कि संत की सेवा संत ही करना जानते हैं. धीरेंद्र शास्त्री प्रवचन स्थान पर जाने से पहले मठ में आएंगे और यहां सबसे पहले मठ में स्थापित श्री राम, जानकी, लक्ष्मण और हनुमान की प्रतिमा का दर्शन करेंगे. इसके बाद उन्हें तमिलनाडु के कांचीपुरम से मंगाए गए वस्त्र (धोती, चादर और अंग वस्त्र) को प्रदान किया जाएगा. कपड़े के लिए कांचीपुरम प्रसिद्ध है और मठ में स्थापित भगवान के वस्त्र भी कांचीपुरम से आते हैं इसलिए धीरेंद्र शास्त्री महाराज के लिए भी वहीं से वस्त्र मंगाए गए हैं.सुदर्शनाचार्य महाराज ने बताया है कि मंदिर आंगन के बाहर अटूट लंगर चलेगा जो कि 24 घंटे चालू रहेगा. इसमें 10, 15 या 20 लाख लोग भी आएंगे तो कोई भूखे नहीं जाएगा. ग्रामवासी रामेश्वर शर्मा ने कहा कि पूरे नौबतपुर प्रखंड के अधिकतर ढाई सौ गांव से दान आ रहा है. हर कोई कुछ न कुछ देना चाहता है. इसलिए हर गांव के एक-एक व्यक्ति को उतरदायित्व दे दी गई है कि वह अपने यहां के लोगों से अनाज या जो भी सामान वो देना चाहते हैं उसे एकत्र कर मठ तक पहुंचा दें. गांव में कोई चावल दे रहा है तो कोई दाल और गेहूं दे रहा है. किसानों और लोगों जरिये दान दिया हुआ अनाज मठ तक पहुंचने भी लगा है. 11 मई तक सभी गांव से अनाज आ जाएंगे. 12 मई से अटूट लंगर प्रारंभ होगा.गांव के ही मनोज कुमार ने कहा कि उन्हें 9 मई को अपने काम पर कही बाहर जाना था. वह प्राइवेट जॉब करते हैं, लेकिन इन्होंने अपना टिकट कैंसिल करवा दिया है. सिर्फ तरेत पाली गांव ही नहीं, गांव के नजदीक जितने भी गांव हैं सभी गांव के अधिकतर एक हजार युवा वालंटियर के रूप में काम करेंगे. लंगर की बंदोबस्त हो या श्रद्धालुओं के बैठने की, सारी चीजें देखेंगे. पार्किंग में या किसी चीज में कोई तकलीफ़ न हो इसको लेकर वालंटियर हमेशा उपस्थित रहेंगे.