ललन सिंह ने कहा कि जातीय गणना एक जरुरत है,
जिसको देखते हुए मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने बिहार में जातीय गणना कराने का परिणाम सभी राजनीतिक पार्टियों की इजाजत से लिया था, लेकिन बताया जाता है कि कुछ लोग पर्दे के पीछे से इसका मतभेद करवा रहे हैं और कोर्ट में केस करवा रहे हैं. उस पर कोर्ट का जो न्याय आया है उसके आधार पर कानूनी राय विचार ली जाएगी. जो भी मुनासिब कदम होगा राज्य सरकार जरुर उठाएगी. आगे जेडीयू के राष्ट्रीय अध्यक्ष ने कहा कि एक बात और है कि पूर्व इतिहास में जाए तो जब मंडल कमीशन बिहार में लागू हुआ था तो सुप्रीम कोर्ट में एक याचिका दायर की गई थी, इसमें सुप्रीम कोर्ट के नियम पीठ ने यह आलोचना किया था और अनुदेश दिया था कि धर्म के आधार पर, जाति के आधार पर गणना करवाएं. यह सुप्रीम कोर्ट ने ही आज्ञा दिया था और हम लोग जातियां गणना करवा रहे हैं, जनगणना नहीं करवा रहे हैं. जनगणना और गणना में अंतर होताबता दें कि जातीय जनगणना पर रोक लगाने की मांग को लेकर दायर की गई याचिका पर गुरुवार (4 मई) को पटना हाई कोर्ट ने न्याय सुनाया है. बिहार सरकार केे न्याय कोो सुप्रीम कोर्ट में ललकार दी गई थी. सुप्रीम कोर्ट के आज्ञा में कहा गया था कि तीन दिन में सुनवाई कर पटना हाई कोर्ट इस मामले में अंतरिम आज्ञा दे. पटना हाई कोर्ट ने गुरुवार को कहा कि अगली फरियाद तीन जुलाई को होगी. और तब तक कोई भी डाटा सामने नहीं आएगा.