पूर्व कानून मंत्री रविशंकर प्रसाद ने बोला कि दिल्ली में काम करने वाले अधिकारियों के परिणाम के बारे में पारदर्शी और उत्तरदायी प्रक्रिया के लिए यह ऑर्डिनेंस लाया गया है. दिल्ली देश की राजधानी है और इसका पूरा प्रशासन राष्ट्रपति के पास होता है. यहां राष्ट्रपति भवन है पार्लियामेंट है. हर देश का वहां दफ्तर है. भारत सरकार के बड़े बड़े संस्थाओं का केंद्र है. वहां विदेश के राष्ट्रपति और प्रधानमंत्री आते हैं. इनका एक विधानसभा है लेकिन मूल रूप से एक राजधानी है. इन्होंने बोला कि अभी सुप्रीम कोर्ट का एक न्याय आया है अफसरों के ट्रांसफर पोस्टिंग को लेकर कि ये पोस्टिंग मुख्यमंत्री के आदेश पर होगा. सुप्रीम कोर्ट ने अपने न्याय में बोला कि यहां के लिए कोई खास कानून नहीं है. जिसको लेकर इन्होंने बोला कि डेमोक्रेटिक तरीके से मुख्यमंत्री का अधिकार है. पूर्व कानून मंत्री रविशंकर प्रसाद ने बोला कि आज ऑर्डिनेंस के माध्यम नई व्यवस्था बनाई गई है. इस नई व्यवस्था का एक वजह है. सुप्रीम का न्याय आया और वहां एक आईएएस थे राजशेखर थे जो शराब घोटाले की छानबीन कर रहे थे.
केजरीवाल के आवास 'घोटाले' का निरीक्षण कर रहे थे उनको हटा दिया गया.
एक NGO की निंदा पर झूठा केस किया गया. इन्होंने आरोप लगाया कि'' यहां से कई शिकायतें मिली है. चार-पांच आईएएस ऑफिसर मंत्री क्या दवाब दे रहे हैं कि हम तुमको देख लेंगे. मैं इन शब्दों का उपयोग नहीं कर रहा हूं ''रविशंकर प्रसाद ने बोला कि इसलिए भारत सरकार की तरफ से एक ऑर्डिनेंस लाया गया ऐसे में आगे से दिल्ली में अधिकारियों की पदस्थापना विजलेंश के बॉडी द्वारा होगी, जिसके चेयरमैन अरविंद केजरीवाल होंगे. बता दें कि दिल्ली में अफसरों की ट्रांसफर-पोस्टिंग को लेकर केंद्र सरकार द्वारा जारी अध्यादेश के विरुद्ध आम आदमी पार्टी के नेताओं का दुश्मन जारी है. मंत्री सौरभ भारद्वाज और आतिशी के बाद अब राज्यसभा सांसद संजय सिंह ने केंद्र सरकार पर निशाना साधा है. इन्होंने बोला कि यह अध्यादेश भारत के संविधान के विरुद्ध है.