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नादानी और बेईमानी से खत्म हो रहा पानी

 संवाद 
पानी की समस्या हल करने का सबसे आसान तरीका यही है कि हमें हमारे पुराने परंपरागत तरीकों को अपनाना होगा। खेतों में कुँए और तालाब फिर से बनाने होंगे। यदि हर एक किसान यह प्रण कर ले कि मेरे पास जितनी जमीन है उसके 1/10 भाग में तालाब बनाऊँगा तो पानी की समस्या इस प्रकार से विकराल रूप नहीं लेगी। तालाब बनाने का सबसे पहला फायदा तो यह है कि जमीन का भूजल स्तर कम नहीं होता। दूसरा, जहाँ तालाब बना हुआ है वहाँ आस-पास की जगह में नमी बनी रहती है जिससे पानी की आवश्यकता भी कम रहती है। तीसरा, जमीन में नमी होने से सूक्ष्म जीव जीवित रहते हैं जो जमीन को उपजाऊ बनाते हैं। इसी तरह गाँव में जगह-जगह सोखते गड्ढे बनाएँ ताकि पानी बिल्कुल भी बरबाद न हो। अब यह जरूरी हो गया है कि जलवायु अनुकूल प्राकृतिक खेती की जाए। यदि कम वर्षा वाले इलाके से हैं तो ऐसी ही फसलें लें जो कम पानी में होती हों। इससे लंबे समय तक खेती से लाभ कमाया जा सकता है। प्रकृति के साथ सोने के अंडे देने वाली मुर्गी का एक बार में पेट फाडक़र सारे अंडे निकाल लेने वाला व्यवहार मत कीजिए।

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