अब थोड़ा विस्तार में जानिये . जमीन, मकान या फ्लैट की रजिस्ट्री के लिए पहले दो या चार गवाहों को लाना पड़ता था. ऐसे में अब इसकी जरुरत नहीं पड़ेगी. खरीदने वाले या बेचने वाले, किसी को इससे मतलब नहीं रहेगा. नए सिद्धांत लागू हो जाने के बाद सिर्फ और सिर्फ जमीन या फ्लैट खरीदने और बेचने वाले ही निबंधन दफ्तर में आएंगे.
यानी अब किसी तीसरे व्यक्ति की जरूरत नहीं पड़ेगी.
इस नए सिद्धांत को बहाल करने को लेकर उत्पाद, मद्य निषेध एवं निबंधन विभाग ने निर्देश जारी कर दिया है. इसके अलावा संबंधित कंपनी को सॉफ्टवेयर में अहम बदलाव करने के अनुदेश दिए गए हैं. इसके लिए एक जून तक का समय दिया गया है. बदलाव के बाद सिर्फ जमीन-फ्लैट के क्रेता या विक्रेता को अपना-अपना आधार नंबर देना होगा. इसे बायोमेट्रिक प्रणाली के जरिए वैध करना होगा.
दरअसल निबंधन दफ्तरों में जमीन-फ्लैट की रजिस्ट्री के वक्त लोगों की होने वाली जमघट को कम करना उदेश्य है. एक रजिस्ट्री में चार या इससे ज्यादा गवाह के निबंधन दफ्तर में पहुंचने से काफी जमघट लग जाती है. इससे दफ्तर का कामकाज भी प्रभावित होता है. कई मामलों में गवाह जुटाने में भी कई बिचौलिए अपने मुनाफे में रहते हैं. इससे लोगों का ही क्षति होता है. इन तमाम बातों को ध्यान में रखते हुए यह बदलाव किया जा रहा है. बता दें कि देश में छोटे-बड़े सभी को एक कर के देखें तो 137 निबंधन दफ्तर हैं. हर रोज तकरीबन पांच हजार निबंधन होते हैं.