हिंदू धर्म में महिलाएं अपने पति की लंबी आयु के लिए कई व्रत रखती हैं। ऐसे ही व्रतों में से एक है वट सावित्रि व्रत। विवाहित महिलाएं इस दिन अपने सुहाग के दीर्घायु होने के लिए व्रत-उपासना करती हैं। यह व्रत हर साल ज्येष्ठ माह की अमावस्या के दिन मनाया जाता है। धार्मिक मान्यताओं के अनुसार जो स्त्री उस व्रत को सच्ची निष्ठा से रखती है उसे न सिर्फ पुण्य की प्राप्ति होती है बल्कि उसके पति पर आई सभी परेशानियां भी दूर हो जाती हैं।
वट सावित्री व्रत शुभ मुहूर्त-
अमावस्या तिथि प्रारम्भ – मई 18, 2023 को रात 09:35 बजे
अमावस्या तिथि समाप्त – मई 19, 2023 को रात 11:08 बजे
वट सावित्री व्रत का महत्व-
धार्मिक मान्यताओं के अनुसार माता सावित्री अपने पति के प्राणों को यमराज से छुड़ाकर ले आई थी। अतः इस व्रत का महिलाओं के बीच विशेष महत्व बताया जाता है। इस दिन वट (बड़, बरगद) का पूजन होता है। इस व्रत को स्त्रियां अखंड सौभाग्यवती रहने की मंगलकामना से करती हैं।
वट सावित्री व्रत भी सौभाग्य प्राप्ति के लिए बड़ा व्रत माना जाता है. ये ज्येष्ठ कृष्ण अमावस्या को मनाया जाता है. इस दिन महिलाएं सोलह श्रृंगार करके पती की लंबी आयु के लिए व्रत रखती हैं और बरगद की पूजा करती हैं. हालांकि वैश्विक महामारी कोरोना के कारण लॉकडाउन की वजह से महिलाएं इस बार पारंपरिक तरीके से धरती पर बरगद के पेड़ के नीचे पूजा कम ही महिलाएं कर पाएंगी.
इसके लिए हमने पूर्व से ही इस प्रकार के पूजन की व्यवस्था अपने घरेलू गार्डन में छत पर ही कर रखा है जिसकी उपयोगिता आज दृष्टिगत हो रही है। यह ठीक उसी प्रकार है जिस प्रकार हिन्दू धर्म के सबसे पवित्र छठ व्रत की पूजा का आयोजन की व्यवस्था प्रायः घरों के छतों पर की जाती है ।लगता है अब आने वाले समय अभी से करबट ले लिया है हम सभी को तदनुसार ढ़ालना होगा ...