बाबा लोगों के दुख दर्द को दूर करने के लिए भभूत बांट रहे है।भभूत जले हवन सामग्री की राख होती है और इस भभूत का बड़ी कमाल का चमत्कार भी होता है ऐसा नहीं है कि पंडित शैलेंद्र कृष्ण शास्त्री की भभूत ही चमत्कारी है हमारे सनातन धर्म में बहुत से सदियों से भूत अर्थात दुख दर्द रोग शोक का नास भभूत से होते रहा है। पहले जमाने में बिहार के गांव गांव में देवास होते थे देवास का पुजारी ब्राह्मण नहीं होते थे पिछड़ी जाति के लोग ही होते थे।बागेश्वर धाम के पीठाधीश्वर कथावाचक पंडित धीरेंद्र कृष्ण शास्त्री के प्रति लोगों की दीवानगी यूं ही नहीं सनातन धर्म के प्रति उनकी आस्था तथा सनातन धर्मावलंबियों को धर्मांतरण अंधविश्वास के प्रति जागरूक करने वाला यह संत सच में वंदनीय विगत 4 दिनों से वे पटना में पटना से सटे नौबतपुर में हनुमत कथा चल रही है भीड़ ने सारे रिकॉर्ड तोड़ दिए हैं बाबा जहां ठहरे हुए हैं वहां भी लोगों का हुजूम पहले 2 दिनों तक यह खबर उड़ी की बाबा सिर्फ वीवीआईपी लोगों को ही होटल में मिलकर आशीर्वाद दे रहे पर सोमवार की रात जो कुछ हुआ वह बेहद मार्मिक बाबा जब होटल पहुंचे तो लाखों की भीड़ होटल के बाहर खड़ी थी जो लोग कथा स्थल पर बाबा से अर्जी नहीं लगा पाए थे या बाबा का दर्शन नहीं कर पाए थे वह देर शाम से ही होटल के बाहर जुटने लगे थे बाबा ने होटल के गेट पर ही दरबार लगा दिया खुद माइक था में जूते श्रद्धालुओं को भूतिया लोगों को धर्म के प्रति आस्था जगाई बाबा का राजनीतिकरण करने वाले लोगों को समझना चाहिए कि लोकतंत्र में लोकतंत्र का निर्माण करता है जिस देश में बहुसंख्यक लोगों के हितों की अनदेखी की जाएगी वहां अल्पसंख्यक कभी सुरक्षित नहीं रह सकते हैं हमारा देश संविधान और कानून से चलता है पर इसके आर में संविधान और कानून तोड़ने वाले लोग ही सबसे ज्यादा चिल्लाते बिहार की ही बात करें तो बिहार में विगत एक दशक के अंदर कई ऐसे आयोजन सरकारी स्तर पर हुए जिसकी देश दुनिया में तारीफ हुई कई बड़े धार्मिक आयोजन थे पर जिस तरह से बाबा के हनुमत कथा को लेकर बिहार में राजनीति हुई वह कहीं ना कहीं पीड़ादायक रहा जिस संत महात्मा के प्रति लोगों में आस्था होगी वही लाखों की भीड़ जुटी भीड़ न खरीदी हुई है ना पशुओं में ट्रेनों में भर भरकर रैलियों की तरह बुलाई गई बाबा के दरबार में किसी से ₹1 स्वीकार भी नहीं किया जा रहा है लोग बता रहे हैं जो बाबा से अपना भविष्य जानना चाहते हैं कथा स्थल पर भी किसी प्रकार का कोई चंदा या शुल्क नहीं लिया जा रहा है जो भी व्यवस्थाएं हैं आयोजक और मटके तरफ से किया गया है इसलिए उस पर भी हम सवालिया निशान नहीं लगा सकते। ज्ञान विज्ञान और अध्यात्म सभी एक ही विदा इसी से जिस समय पूरी दुनिया ज्ञान के प्रकाश से दूर थी हमारे यहां वेद कठोपनिषद लिखे जा चुके थे। पंडित धीरेंद्र कृष्ण शास्त्री देश के पहले और आखिरी संत भी नहीं है जिन्होंने लोगों की मन की बातों को हनुमान जी की कृपा से पढ़ना और बताना शुरू किया है इससे पहले भी कई ऐसे दिव्य संत हुए जिन्होंने इस तरह की अलौकिक घटनाओं को अंजाम दिया है इस कारण से पंडित धीरेंद्र कृष्ण शास्त्री पर सवालिया निशान नहीं लगाया जा सकता यह लोगों को बताते नहीं है अंधविश्वास की तरफ नहीं ले जाते हैं और ना ही किसी भी प्रकार के आर्थिक उपार्जन का स्रोत उन्होंने अपनी इस विद्या का बनाया है। सिर्फ और सिर्फ राजनीतिक तुष्टीकरण के लिए आप लाखों-करोड़ों लोगों की जन भावना का अनादर नहीं कर सकते। भीड़ वाले बड़े आयोजनों का राजनीतिकरण भी कहीं ना कहीं घातक है पर ऐसे कार्यक्रमों का राजनीतिकरण होने देने के लिए भी तमाम लोग भी दोषी हैं जो दूर से आरोप लगा रहे हैं।