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बढ़ती महंगाई को लेकर युवा राजद के द्वारा जिला मुख्यालय मधुबनी के प्रांगण में होगा महाधरना

संवाद 

युवा राजद मधुबनी का एकदिवसीय बैठक जिला कार्यालय कोतवाली चौक मधुबनी में जिला अध्यक्ष इंद्रभूषण यादव के अध्यक्षता में किया गया बैठक में राज्य के निर्देशानुसार 21 से 30 मई तक सभी प्रखंडों के पांच पांच गावों में जनजागरण सह पदयात्रा करते हुए 5 जून को सम्पूर्ण क्रांति दिवस के अवसर पर केंद्र की नरेन्द्र मोदी सरकार के खिलाफ नई शिक्षा नीति, जातीय जनगणना एवं बढ़ती महंगाई को लेकर युवा राजद के द्वारा जिला मुख्यालय मधुबनी के प्रांगण में महाधरना दिया जाएगा। बैठक को संबोधित करते हुए वक्ताओं ने कहा पहले नारा था "भंगी का बेटा हो या राष्ट्रपति का संतान, सबको शिक्षा एक समान"। मोदी सरकार नई शिक्षा नीति लागू होने के बाद नया नारा है "वंचित, शोषित, दलित को नहीं है शिक्षा का अधिकार, क्योंकि भाजपा चाहती है मनुस्मृति का विस्तार"। संविधान के निर्मताओं ने एक आधुनिक भारत की कल्पना की थी पर यह तभी सम्भव है जब हजारों वर्षों से चले आ रहे जातिवादी भेदभाव को खत्म किया जाए। सूचना क्रांति के युग में जनसंख्या का डॉक्यूमेंटेशन और कैटेगराईजेशन अत्यंत जरूरी है तभी आधुनिक समाज को तीव्र गति से विकसित किया जा सकता है। जाति एक महत्वपूर्ण कारक है जो मनुष्य को सामाजिक, राजनीतिक और आर्थिक स्तर पर पहचान देता है। इसी कारणवश भाजपा जातिगत जनगणना नहीं करा रही है ताकि सामंतवाद वर्चस्व बना रहे। लोकसभा चुनाव 2014 के पहले महंगाई डायन बनकर खा रही थी तो अब चुड़ैल बनकर चवा रही है। केन्द्र सरकार की गलत नीतियों के कारण आज पूरा देश महंगाई की मार झेल रहा है। खाद, कीटनाशक एवं डीजल के दामों में बेतहाशा वृद्धि से किसान परेशान हैं। दाल-चावल एवं साग-सब्जी की महिलाएं रसोईघर में रो रही हैं। नोटबंदी का महंगाई गरीब को गला रही है, वे भरपेट भोजन के लिए जद्दोजहद्द कर रहे हैं। गैस व तेल के लगातार बढ़ते दाम तुगलकी फरमान और हड़बड़ी में जीएसटी लागू कर पूरे देश को गर्त में ढकेल दिया गया है। वर्तमान सरकार में डॉलर के आगे रूपया दम तोड़ता जा रहा है और वस्तुओं के दाम आसमान छू रहे हैं, जिससे दलित, वंचित, शोषित (सर्वाधिक संख्या में जिनकी आर्थिक स्थिति खराब), मध्यम वर्ग का जीना बेहाल है। ऐसा मोदी सरकार जानबूझकर कर रही है ताकि हम इसी में उलझे रहे और वो बाबा साहब द्वारा रचित संविधान को समाप्त कर मनुस्मृति के संविधान को लागू कर दे। सरकार की नई नीति में जिन कॉलेज में 3000 से कम बच्चे पढ़ते हैं उसको बंद करके उसे दूसरे कॉलेज के साथ जोड़ देना है, जिससे कॉलेज की संख्या कम हो जाएगा। विभिन्न प्रदेशों में कॉलेज दूरदराज के इलाके में होते हैं, वहां तीन हजार कम छात्र होते हैं। वहां उनका विलय करना वहां के छात्रों के लिए अभिशाप होगा, क्योंकि कॉलेज की तलाश में इन छात्रों को शिक्षा के लिए शहरों की तरफ जाना पड़ेगा, जिसके कारण छात्रों और उनके अभिभावकों को मानसिक और आर्थिक प्रताड़ना झेलनी होगी। बालिकाओं के लिए तो यह नीति और भी बदत्तर साबित होने वाली है। नई शिक्षा नीति में सरकारी स्कूल और कॉलेज को धीरे-धीरे समाप्त कर दिया जायेगा जहां 90 प्रतिशत वंचित, दलित, पिछड़ा, अतिपिछड़ा के बच्चे पढ़ते हैं। उसके जगह निजी स्कूल और कॉलेज खुलेंगे जहां निर्धन, गरीब, दलित, वंचित समाज के लोग अपने बच्चों को पढ़ा नहीं सकते हैं, यानि कालान्तर में एक बड़ी आबादी शिक्षा से वंचित हो जायेगी।
युवा प्रदेश उपाध्यक्ष कुमार आलोक, संजय कुमार आपदा प्रकोष्ठ अध्यक्ष,अरुण कुमार चौधरी वरिष्ट नेता राजद, जहांगीर अली पंचायती राज प्रकोष्ठ,जिला प्रवक्ता इंद्रजीत राय, युवा प्रवक्ता मेहताब आलम, धर्मेंद्र यादव उपाध्यक्ष छात्र नेता, त्रिबेनी प्रसाद यादव कोषाध्यक्ष, मिथिलेश कुमार खजौली, दीपक कुमार, राजेश कुमार, जकी अहमद पम्मी, कुन्दन कुमार, मो अनवर, शशिकांत यादव, रोहित यादव, संजीव यादव, नरेश यादव, जफर, नुर आलम, देव नारायण पासवान संजय कुमार यादव, सचिन चौधरी, अमित कुमार यादव , कमाल हसैन, प्रशांत यादव बालक मुकेश,सहित अन्य मौजूद थे।

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