सुनवाई के लिए मंगलवार (9 मई) की तिथि दी गई थी. इस पर आज ही सुनवाई हुई है.
कोर्ट की तरफ से बोला गया कि पहले से तय तिथि तीन जुलाई को ही अगली सुनवाई होगी.दरअसल याचिकाकर्ताओं द्वारा याचिका में कहा गया था कि बिहार सरकार के पास जातीयों को गिनने का योग्यता नहीं है. ऐसा करके सरकार संविधान का तिरस्कार कर रही है. जातीय गणना में लोगों की जाति के साथ-साथ उनके कारबार और उनकी सामर्थ्य का भी ब्यौरा लिया जा रहा है. ये उसकी गोपनियता के अधिकार का हनन है. जातीय गणना पर खर्च हो रहे 500 करोड़ रुपये भी टैक्स के पैसों की बर्बादी है.ऐसे में याचिकाकर्ताओं ने जातीय गणना पर रोकने का अनुरोध की थी. बता दें कि पटना हाई कोर्ट की तरफ से चार मई को जातीय गणना पर अंतरिम रोक लगाई थी. तीन जुलाई को अगली सुनवाई होनी है. और बता दें कि कोर्ट से आज फिर बिहार सरकार को बड़ा धक्का लगा है.