बैठक में कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष राहुल गांधी, कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खरगे, एनसीपी प्रमुख शरद पवार, दिल्ली सीएम अरविंद केजरीवाल, वाम दलों के नेता सीताराम येचुरी, डी राजा, शिवसेना (उद्धव गुट) के अध्यक्ष उद्धव ठाकरे, एआईयूडीएफ प्रमुख बदरुद्दीन अजमल, महबूबा मुफ्ती, एनसी प्रमुख फारुख अब्दुल्ला, झारखंड सीएम हेमंत सोरेन, सपा अध्यक्ष अखिलेश यादव, दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल, जनता दल सेक्युलर के नेता कुमारस्वामी समेत विपक्ष के कई प्रमुख नेता बैठक में सम्मिलित हो सकते हैं. इन नेताओं से पहले ही नीतीश कुमार भेंट कर चुके हैं. वैसे बैठक में सम्मिलित होने के लिए निमंत्रण भी भेजा गया है.बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने जब कोलकाता में पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी से भेंट की थी तो इन्होंने ने ही राय दी थी कि विपक्षी दलों की बैठक पटना में बुलाई जाए. ममता बनर्जी ने बोला था कि जेपी आंदोलन की तरह पटना से ही मोदी शत्रु आंदोलन प्रारंभ हो.इस बैठक को लेकर सियासत तेज हो गई है.
जेडीयू और बीजेपी आमने सामने हैं.
जेडीयू के मुख्य प्रवक्ता नीरज कुमार ने बोला कि इस बैठक में विपक्ष के सभी प्रमुख मुखड़े रहेंगे. इन्होंने बोला कि स्पष्ट कर देना चाहता हूं कि नीतीश कुमार को विपक्ष का पीएम उम्मीदवार नहीं बनना है. नीतीश की अपनी कोई महत्वाकांक्षा नहीं है. वह सिर्फ विपक्षी दलों को एक मंच पर लाना चाहते हैं. 2024 लोकसभा चुनाव को लेकर यह जो बैठक हो रही है यह मील का पत्थर प्रमाणित होगा.वहीं नेता प्रतिपक्ष विजय कुमार सिन्हा ने बोला कि यह विपक्षी दलों की नहीं बल्कि भ्रष्टाचारियों की मीटिंग होने जा रही है. जनता के पैसों को नष्ट कर मीटिंग बुलाई जा रही है. ये दल अपनी मंशा में कभी सफलता नहीं होंगे. जनता तो पीएम मोदी के साथ खड़ी है. इस बैठक का हम लोग मतभेद करेंगे. नीतीश से बिहार तो संभल नहीं रहा है, अब विपक्ष को इकट्ठा करने का सपना देख रहे हैं जो कभी भी पूरा नहीं होगा