पूर्व कचरे के इलाज और जलमल इलाज संयंत्रों के रचना के लिए किया जाएगा,
ताकि बेहतर अपशिष्ट व्यवस्था सुनिश्चित किया जा सके.एनजीटी ने उल्लेख किया कि बिहार पर 11.74 लाख मीट्रिक टन से अधिक ज्यादा पूर्व कचरे के साथ प्रति दिन उत्पन्न होने वाले 4,072 मीट्रिक टन अशोधित शहरी कचरे के व्यवस्था का भार है. और इसने कहा कि राज्य में तरल अपशिष्ट उत्पादन और इलाज में 2,193 मिलियन लीटर प्रति दिन का अंतर है. इसने कहा कि विकेंद्रीकृत, स्थानीय प्रणालियों या अन्य में समिलित वास्तविक खर्चों को देखते हुए जलमल इलाज संयंत्रों के लिए व्यय के पैमाने की समीक्षा की जा सकती है.पीठ ने सुझाव दिया कि उपयुक्त स्थानों पर खाद बनाने में गीले कचरे का यूज करने के लिए बेहतर विकल्पों का पता लगाया जाना चाहिए. और बताया गया है कि वहीं, पीठ में न्यायमूर्ति सुधीर अग्रवाल और न्यायमूर्ति अरुण कुमार त्यागी के साथ विशेषज्ञ सदस्य अफरोज अहमद तथा ए सेंथिल वेल भी सम्मिलित थे.