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'अपना अड्डा है नहीं और देश में घूम रहे हैं, PK ने CM नीतीश को समझाया 2024 का चुनावी गणित

संवाद 


जन सुराज पदयात्रा (Jan Suraaj Padyatra) के 223वें दिन समस्तीपुर जिले के मोरवा प्रखंड में चुनावी रणनीतिकार प्रशांत किशोर (Prashant Kishor) ने विपक्षी एकत्व को लेकर शुक्रवार को नीतीश कुमार (Nitish Kumar) पर निशाना साधा. इन्होंने कहा कि नीतीश कुमार जो कर रहे हैं इसका कोई इरादा ही नहीं बनता है. नीतीश कुमार जो विपक्षी एकत्व की बात कर रहे हैं वो बिहार में सीटों का ही फार्मूला जारी कर दे कि बिहार में जेडीयू, कांग्रेस, आरजेडी और उनके अन्य जो मददगार दल हैं वो कितने सीटों पर चुनाव लड़ेंगे. नीतीश कुमार की पार्टी 110 सीटों पर लड़ कर 42 सीट पर जीती हैं, सीपीआई (ML) 17 सीटों से लड़कर 12 सीट जीती हैं. इस गणना से इनको  ज्यादा सीट मिलनी चाहिए, तो नीतीश कुमार अपनी सीट छोड़ देंगे? जिसके अपने घर का अड्डा है नहीं, वह आदमी पूरे दुनिया में घूमेगा तो वो न घर का होगा ना बाहर का होगा.प्रशांत किशोर ने बीजेपी पर ताना कसते हुए कहा कि बिहार में बीजेपी को कोई नया आदमी नहीं मिल रहा है, इनको भी वही आदमी मिला है जिनके बाप-दादा पूर्व किसी और दल में थे, 

बिहार में बीजेपी अभी नेता ही ढूंढ रही है.

 कोई नेता इनको यहां मिल जाए, जिसके नाम पर बिहार में चुनाव लड़ा जा सके. इसके खोज में रहते हैं. प्रधानमंत्री के मुखौटा पर जो वोट मिलती है. वही वोटिंग बीजेपी को मिल रही है. बिहार में बीजेपी के किसी नेता के नाम पर पांच वोटिंग भी नहीं है. चुनावी रणनीतिकार ने आगे बोला कि लोगों को बेवकूफ़ बनाया जा रहा है. अगर 4-4 लाख लोग तीन बार इम्तिहान देने जाएंगे तो 12 लाख लोगों की इम्तिहान लेगा कौन? जब बेवकूफ़ आदमी को नेता बना देंगे तो वो यही काम होगा. तेजस्वी यादव चुनाव में आएं और 10 लाख नौकरी देने का वचन किया और कहा कि एक साइन करेंगे और आपको नौकरी मिल जाएगी. ये दिखाता है कि आप कितने बड़े मूर्ख हैं. किसी कैबिनेट के पास ये योग्यता नहीं है कि एक साइन पर नौकरी मिल जाएगी. कैबिनेट ये निष्कर्ष कर सकती है कि कितने पद निकलेंगे, किस विभाग में निकलेंगे, कैबिनेट नौकरी नहीं दे सकती है, ये बस दिखाता है कि तेजस्वी को किसी विषय का कोई ज्ञान ही नहीं है.वहीं, 10 लाख नौकरी के प्रश्न पर तेजस्वी पर आक्रमण करते हुए प्रशांत किशोर ने कहा कि पिछले 10 साल में बीपीएससी के काम करने का जो तरीका है उसको ध्यान से समझ जाए तो एक साल में 10 हजार से काफी ज्यादा लोगों को नौकरी देने की क्षमता बीपीएससी की नहीं है. कितने लोगों को इम्तिहान देनी है, कितने लोगों का अनुरोध होगा? इन सब के गणना से 10 हजार से काफी ज्यादा नौकरी बीपीएससी नहीं दे सकती है. नियमावली को अगर ठीक मान लिया जाए तो बीपीएससी को दो लाख अध्यापक की निर्धारित करने में कम से कम पांच साल का वक्त लगेगा और नियोजित अध्यापकों के पास केवल तीन मौका है.

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