कहा कि नीतीश कुमार की ये स्थिति आनंद मोहन की रिहाई से नहीं हुई है,
इससे पहले जब महागठबंधन की सरकार बनी थी उसी समय से नीतीश कुमार इस तरह के न्याय ले रहे हैं. महागठबंधन के मंत्रिमंडल में चार ऐसे मंत्री हैं जिनका नाम आरजेडी की तरफ से 2015 में भी वर्णित किया गया था, लेकिन उनकी दागदार छवि को देखते हुए मंत्रिमंडल में उन्हें समिलित नहीं किया गया था. वही चार लोग आज मंत्रिमंडल में नीतीश कुमार के आसपास में बैठे हुए हैं.पीके ने आगे ये भी कहा कि आनंद मोहन की रिहाई से एक बात ये स्पष्ट हो रही है कि नीतीश कुमार जाति की राजनीति करते हैं, जिसकी मृत्यु हुई वह दलित समाज के गरीब परिवार का व्यक्ति था. नीतीश कुमार जो दलितों और पिछड़ों की राजनीति करने का वादा करते हैं, ये उसी समाज के सामने नंगे हो गए हैं. जब आपको वोट का लाभ दिखता है तब उस समय आप गरीब, पिछड़ा और दलित सबकुछ भूल जाते हैं. ये जो दलितों की राजनीति है वो सिर्फ अपने लाभ तक है, और ये अपने परिवार और मतदान तक ही निश्चित जाती है.