आम आदमी के लिए राहत भरी खबर है. खाद्य तेलों के रिकॉर्ड आयात से स्थानीय तेल-तिलहन उद्योग में पैदा हुई घबराहट के बीच दिल्ली बाजार में शनिवार को ज्यादातर तेल-तिलहन कीमतों (Edible Oil Price) में गिरावट रही और सरसों और सोयाबीन तेल तिलहन, कच्चा पामतेल (CPO) एवं पामोलीन और बिनौला तेल कीमतों में गिरावट रही जबकि मूंगफली तेल-तिलहन के भाव पूर्वस्तर पर बंद हुए.पिछले साल मार्च में समाप्त हुए 5 महीनों के दौरान 57,95,728 टन खाद्य तेलों का आयात हुआ था जबकि इस साल मार्च में समाप्त हुए 5 महीनों में यह 22 फीसदी बढ़कर 70,60,193 टन हो गया. इसके अलावा खाद्य तेलों की 24 लाख टन की खेप आनी अभी बाकी है. इस तरह भारी आयात और पाइपलाइन में स्टॉक होने से सरसों जैसे स्थानीय तिलहन का बाजार में खपना मुश्किल हो गया है. मौजूदा स्थिति के बीच स्थानीय तेल उद्योग के साथ किसानों में घबराहट की स्थिति है जो खाद्य तेल कीमतों में गिरावट आने का मुख्य कारण है.डिब्बाबंद मूंगफली तेल का खुदरा मूल्य 149.13 रुपये प्रति किलोग्राम, सरसों का तेल 130.84 रुपये प्रति किलोग्राम, वनस्पति तेल 112.62 रुपये प्रति किलोग्राम, सोयाबीन तेल 108.2 रुपये प्रति किलोग्राम, सूरजमुखी तेल 115.18 रुपये प्रति किलोग्राम और पाम तेल 90 रुपये प्रति किलो है. % आयातित खाद्य तेलों की अंतरराष्ट्रीय कीमतों में गिरावट का रुख है जो भारत में खाद्य तेल क्षेत्र के लिए सकारात्मक परिदृश्य उपलब्ध कराता है.
पिछले दो महीनों में विभिन्न खाद्य तेलों की वैश्विक कीमतों में 200-250 डॉलर प्रति टन की गिरावट आई है, लेकिन खुदरा बाजारों में इसका असर दिखने में समय लगेगा और खुदरा कीमतों में जल्द ही कमी आने की उम्मीद है.' खाद्य तेल संघों को सलाह दी गई है कि वे इस मुद्दे को अपने सदस्यों के समक्ष तुरंत उठाएं और यह सुनिश्चित करें कि तत्काल प्रभाव से खाद्य तेलों की अंतरराष्ट्रीय कीमतों में गिरावट के अनुरूप प्रत्येक तेल का एमआरपी (अधिकतम खुदरा मूल्य) कम किया जाए. इसके अलावा, खाद्य मंत्रालय ने उस कीमत को कम करने के लिए कहा है जिस पर कारोबारियों द्वारा वितरकों को खाद्य तेलों की आपूर्ति की जाती है.