पंकज झा शास्त्री
हर वर्ष की भांति इस वर्ष भी मधुश्रावणी को लेकर नवविवाहित सुहागिनो के मन मे उत्सुकता बनी हुयी है। मिथिलांचल का एक महत्वपूर्ण पर्व है मधुश्रावणी. ये पर्व नवविवाहिताएं मनाती है. इस त्यौहार को नवविवाहिता काफी आस्था और उल्लास के साथ मनाती है. दो सप्ताह तक चलने वाले मधुश्रावणी पर्व की शुरुआत मौना पंचमी के दिन से हो जाता है। इस बार मधुश्रावणी व्रत 14 दिन की जगह लगभग डेढ़ मास का होगा। पंडित पंकज झा शास्त्री ने बताया कि इस बार सावन मे मलमास परने से दो श्रावण मास का योग बन रहा है जिस कारण मधुश्रावणी व्रत का आरम्भ 07 जुलाई 2023 से हो रहा है और इस व्रत का समापन 19 अगस्त को होगा जबकि मलमास आरम्भ 17 जुलाई से हो रहा है। वैदिक काल से ही मिथिलांचल में ऐसी मान्यता है की पवित्र सावन माह में निष्ठापूर्वक नाग देवता की आराधना करने से दाम्पत्य जीवन की आयु लम्बी होती है.
मिथिला की नवविवाहिताएं सदियों से अपने अखंड सौभाग्य एवं पति के दीर्घायु जीवन की कामना को लेकर श्रावण कृष्ण पंचमी से लेकर तृतीया तक पूरी आस्था के साथ मधुश्रावणी में पूजा करती है. इस पूजा में नवविवाहिताएं भगवान शंकर - गौरी ,नाग -नागिन और इष्ट देवताओं की पूजा अर्चना और गायन करती हैं. इस पर्व को नव -विवाहिता की जीवन साधना का महापर्व कहा जाता है. इस त्यौहार को मनाने के पीछे मान्यता हैं की दम्पत्ति हमेशा युवा बने रहें. इन्ही पौराणिक कथाओं को अनुश्रवण करते हुए आज भी मिथिलांचल में मधुश्रावणी पर्व मनाया जाता है.