उपेंद्र कुशवाहा ने अपने ट्वीट में लिखा- "23 फरवरी 2014 को आदरणीय मुख्यमंत्री नीतीश कुमार जी के कर कमलों से शिलान्यास किया गया 1710 करोड़ रुपये की योजना वाले इस निर्माणाधीन पुल का दूसरी बार धाराम से गिरना और घोर अनियमितता और भ्रष्टाचार की बांगी एवं जेडीयू-आरजेडी गठबंधन/विलय का नतीजा है. 2024-25 में बिहार से इनका सफाया भी ठीक वैसे ही धड़ाम से होना अवश्य है.
आखिर बिहार के लोग कब तक इनको खेलते रहेंगे.
"भागलपुर में पुल के गिरने पर रविवार से ही बिहार की सियासत तेज हो चुकी है. रविवार को ही बीजेपी के प्रदेश अध्यक्ष सम्राट चौधरी ने ट्वीट कर ताना कसते हुए बोला था भागलपुर के पुल की अच्छी तरह से मरम्मत करवाई गई है, इतना कार्य किया गया है कि पुल ही टूट गया.
बताते चलें कि यह पुल रचना के वक्त ही दूसरी बार गिरा है. पहली बार 30 अप्रैल 2022 को आंधी तूफान आने के वजह पिलर नंबर 5 के सुपरस्ट्रक्चर का सेगमेंट गिरा था. उस वक्त तेजस्वी यादव विपक्ष में थे और बीजेपी-जेडीयू के सरकार पर खूब जमकर आक्रमण भी बोला था. अभी तेजस्वी यादव पथ रचना विभाग के ही मंत्री हैं. इस पुल के लिए कई बार विधानसभा में भी प्रश्न उठे हैं.