रामचंद्र प्रसाद यादव ने बोला कि अगर रामचरितमानस के श्लोक की कुछ पंक्तियों के बारे में वह बोलता है तो फिर पूरी जानकारी रख कर बोलना चाहिए.
हम अच्छी तरह से जानते हैं कि वह बिना अवधि जाने ही बात करता है. किस अवधि में कब श्लोक को लिखा गया है यह उसको सूचना नहीं है, लेकिन सियासत है कोई कुछ भी बोल देता है. वार्तालाप में अपने बारे में बताते हुए आगे बोला कि हम दोनों भाई साथ रहते हैं. हम लोगों का खानपान गांव में एक साथ हैं. जमीन-जायदाद का कार्य भी एक साथ होता है लेकिन विचारों के मामले में हम दोनों अलग हैं. हमने उसे बोला भी है कि बिना अवधि जाने क्यों बोलते हो? रामचंद्र ने बोला कि अब हम बीजेपी में आ गए हैं. पार्टी का जो भी आदेश होगा वह हम करेंगे.रामचंद्र ने बो कि अगर भाई के बयान के विरुद्ध हमें सियासत करनी पड़ी तो उसमें भी पीछे नहीं हटेंगे. उनके बयानों का सीधा-सीधा जवाब देंगे क्योंकि मुझे पता है कि वह जो बयान देते हैं वह कितना सही होता है. लालू यादव सामाजिक फैसले की बात करते हैं तो तुलसीदास से बड़ा सामाजिक पुरोधा कोई नहीं था. सामाजिक न्याय के जन्मदाता तुलसीदास ही थे. जो नहीं जानते हैं उन्हें इतिहास पढ़ना चाहिए. उस वक्त तुलसीदास ने सभी धर्मों को इकट्ठा करके रखा था.