इन्होंने इल्जाम लगाया कि विपक्ष में सभी अपने-अपने मुखड़े को आगे कर रहे हैं.
नीतीश कुमार से बिहार तो संभल नहीं रहा है वह देश को संभालने चले हैं. बहुजन समाजवादी पार्टी की स्थिति बिहार में भी कमजोर नहीं है. उससे पहले भी हमें अच्छे मतदान मिले हैं. इन्होंने बताया कि सबको अपनी पार्टी के लिए चुनाव लड़ने का हक है. हम लोग किसी भी सूरत में विपक्ष पार्टियों के साथ नहीं रहेंगे. इन्होंने यह भी बोला कि यह एकत्व कुछ दिनों के लिए है देखिए आगे क्या -क्या होता है.मायावती के अलावा बिहार में जीतन राम मांझी की पार्टी हिंदुस्तानी आवाम मोर्चा को भी विपक्षी एकत्व की बैठक के लिए आमंत्रित नहीं किया गया है. जीतन राम मांझी ने 2 दिन पहले ही इस बात की जानकारी मीडिया को दी थी. जीतन राम मांझी भी दलित परिवार से आते हैं और उनकी पार्टी भी दलित वोट का प्रतिनिधित्व करती है. दलित पार्टी में लोक जनशक्ति पार्टी का भी एक नाम है जो बीजेपी के साथ है. ऐसे में विपक्षी एकत्व में दलित पार्टियों का ना होना यह दर्शाता है कि महागठबंधन के लिए सब कुछ इतना आसान नहीं है.इस पर कांग्रेस के प्रदेश प्रवक्ता राजेश राठौर ने बोला कि जिन्हें यह लगता है कि बीजेपी को हराना है तो वह खुद विपक्षी एकत्व की बैठक में सम्मिलित हो जाएं और उन्हें होना भी चाहिए क्योंकि सभी को इकट्ठा करना हमारा लक्ष्य है. जीतन राम मांझी को क्यों आमंत्रित नहीं किया गया है यह बिहार का मसला है, इसे मुख्यमंत्री नीतीश कुमार, ललन सिंह और तेजस्वी यादव देख रहे हैं, क्योंकि जीतन मांझी हमारे महागठबंधन के साथ हैं. देश में कई पार्टियां हैं जिन्हें हम लोग अनुरोध कर रहे हैं कि सभी लोग इकट्ठा होकर 2024 में बीजेपी को हराने का संकल्प लें.