सीबीआई या हाईकोर्ट के सीटिंग जज से इसकी जांच-पड़ताल होनी चाहिए.
जब पुल 2015 में बना तब तेजस्वी ही पथ निर्माण मंत्री थे, जब यह पुल अब गिरा तब भी तेजस्वी ही उस विभाग के मंत्री हैं.आगे नेता प्रतिपक्ष ने बोला कि एक ओर सीएम नीतीश कुमार बोलते हैं कि ठीक से कार्य नहीं हुआ इसलिए पुल गिरा. जांच-पड़ताल होगी. दूसरी ओर तेजस्वी बोलते हैं कि पथ निर्माण मंत्री होने के नाते वह विशेषज्ञों से सलाह लिये थे तो इनको बोला गया था कि पुल निर्माण में खामी है. कुछ भागों को गिराना पड़ेगा. पुल गिरने के बाद दोनों अलग-अलग बात बोलकर गुमराह कर रहे हैं.बीजेपी नेता ने बोला कि 1711 करोड़ की लागत से बनने वाला यह पुल मुख्यमंत्री का ड्रीम प्रोजेक्ट भी है. हालांकि इस पुल रचना के लिए आठ डेट लाइन तय किया जा चुका है. इस पुल का शिलान्यास 2014 में और कार्यारंभ 2016 में ही हो गया था, उस वक्त महागठबंधन की सरकार ही थी और यह तो सर्वविदित है कि महागठबंधन की सरकार में योजनाओं में प्रगति का काम कितना और भ्रष्टता कितना होता है.