बीजेपी (BJP) को सत्ता से हटाने के लिए बिहार (Bihar) में विपक्षी दलों की बैठक हो रही है. बैठक बिहार की राजधानी पटना में हो रही है. मेजबानी बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार (Nitish Kumar) कर रहे हैं. बैठक में 16 प्रमुख विपक्षी पार्टियों ने भाग लिया है. बीजेपी जैसी अटल पार्टी को 2024 के लोकसभा चुनाव में कैसे हराया जाए, इस पर मंथन हो रहा है. लेकिन बड़ा प्रश्न है कि अगर विपक्ष इकट्ठा हो जाए तो कितना प्रभावी होगा? क्या विपक्षी एकजुटता प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी (Narendra Modi) के लिए बड़ी चुनौती होगी? बैठक में सम्मिलित हो रहे नेताओं की अपने-अपने राज्यों के लोकसभा सीटों पर क्या स्थिति है ?
आज के बैठक में कुल 16 पार्टियां सम्मिलित हुई.
इसमें सबसे अटल विपक्षी पार्टी कांग्रेस है. कांग्रेस के पास कुल 51 सांसद है. तमिलनाडु में अपनी पकड़ रखने वाली पार्टी DMK के पास 24 लोकसभा की सीटें हैं. ममता बनर्जी की पार्टी TMC के पास बंगाल में कुल 23 लोकसभा सीटें हैं. विपक्षी बैठक की मेजबानी कर रहे बिहार के सीएम नीतीश कुमार की पार्टी JDU के पास 16 लोकसभा सीटें हैं. महाराष्ट्र में शिवसेना (उद्धव) के खाते में लोकसभा की 7 सीटें हैं. शरद पवार की NCP के पास 5 सीटें हैं. CPI (M) और अखिलेश यादव की SP के पास लोकसभा की कुल 3 सीटें हैं. 2019 में हुए लोकसभा चुनाव में JKNC को भी 3 सीटें प्राप्त हुई थीं. CPI के पास 2, AAP और JMM के पास लोकसभा की 1 सीट है.अगर विपक्ष इकट्ठा होकर चुनाव लड़ती है तो इसका सीधा असर करीब 328 लोकसभा सीटों पर पड़ेगी. जिसमें 139 सीटों पर जीते उम्मीदवार के पार्टी प्रमुख पटना में हुई बैठक में सम्मिलित हुए. विपक्षी पार्टियों के हुई बैठक का सीधा असर केरल, तमिलनाडु, पंजाब, असम, तेलंगाना, बिहार, महाराष्ट्र, झारखंड और बंगाल जैसे राज्यों पर होगा. क्योंकि विपक्षी पार्टियों के एक होने के बाद कांग्रेस के साथ-साथ इन राज्यों में क्षेत्रीय क्षत्रपों का असर और अटल होने का अनुमान बनेगी. जिससे बीजेपी के लिए कठिनाई खड़ी हो सकती है.