आगे इन्होंने बोला कि इतिहास गवाह है कि जहां जहां विपक्ष कमजोर हुआ है.
वहां वहां सरकार के द्वारा तानाशाही रवैया अपनाया गया है. ये जो मेरी दूसरी पारी है पूरी समाजवाद के लिए समर्पित है. मेरी लड़ाई टिकट के लिए बिल्कुल नहीं है. मैं बाहर आते ही बोला था मैं समाजवाद के साथ अब भी हूं और आगे भी रहूंगा. कई बार बोल चुका हूं कि जब केंद्र मजबूत हो तो विपक्ष को विकलांग नहीं होना चाहिए.वहीं, पूर्व सांसद ने बोला कि जब वह दरभंगा के एक चौक से गुजर रहे थे तो वहां कांग्रेस के द्वारा लगाए गए राहुल गांधी का एक बैनर दिखा, जिसमें राहुल गांधी के समर्थन में एक बहुचर्चित शायरी लिखी थी, जिसमें लिखा था कि हम नफरतों के बाजार में मोहब्बत का दुकान खोलने आए हैं. यह बात आनंद मोहन को खटक गई और इस बात को लेकर इन्होंने राहुल गांधी को नसीहत दी. इन्होंने राहुल गांधी पर बोलते हुए कहा कि उन्हें अच्छे सलाहकार की आवश्यकता है, वो बोलते हैं हम नफरतों के बाजार में मोहब्बत का दुकान खोलने आए हैं. लेकिन मैं बोलना चाहूंगा की दुकान नहीं बोलिए. दुकान में सौदा होता है तो दुकान खोलकर आप क्या कीजिएगा. आप प्यार, मोहब्बत का सौदा करेंगे, उनके सलाहकारों को इसलिए उनको बताना चाहिए. सुधार करना चाहिए.आगे आनंद मोहन ने बोला कि नफरत का बाजार हो सकता है. नफरत की खेतीबाड़ी हो सकती है. अब इस देश में यही सब चल रहा है. मोहब्बत के लिए तो हमे बलिदान देना चाहिए. उन्होंने बोला कि राहुल गांधी बलिदान का कार्य कर रहे हैं और नाम दुकान का दे रहे हैं. आज हमने दरभंगा में लगे बैनर में देखा जो मुझे अच्छा नहीं लगा. मोहब्बत तो खुदा का दूसरा रूप है.