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'मांगि कै खैबो मसीत को...', रामचरितमानस पर दिए गए रीतलाल यादव के वर्णन पर शिक्षा मंत्री ने की टिप्पणी

संवाद 


रामचरितमानस (Ramcharitmanas) के रचयिता तुलसीदास (Tulsidas) पर एक बार फिर बिहार में सियासत गरमा गई है. आरजेडी (RJD) के विधायक रीतलाल यादव (Ritlal Yadav) के बाद शिक्षा मंत्री प्रो. चंद्रशेखर ने रामचरितमानस और तुलसीदास को लेकर बयान दिया है. प्रो. चंद्रशेखर ने मीडिया से वार्तालाप के दौरान बोला कि तुलसीदास ने लिखा है 'मांगि कै खैबो मसीत को सोइबो' तो हो सकता है कि जो व्यक्ति मांग कर खाता था, वह मस्जिद में सोता भी होगा. अपनी रचना वह वहां भी किए हो. हालांकि वहीं पर किए हो यह मैं नहीं बोल सकता हूं, लेकिन वहां भी किए हो ये हो सकता है. जो व्यक्ति सोते हुए जगते हुए कुछ लिख पढ़ सकता हो तो कल्पना लगाया जा सकता है कि तुलसीदास वहीं पर रामचरितमानस लिखे हो.आरजेडी विधायक रीतलाल यादव के बयान पर शिक्षा मंत्री की सलाह पर बिहार में राजनीतिक बयानबाजी फिर तेज हो गई है. 

शिक्षा मंत्री के बयान के बाद बीजेपी ने भी कड़ी प्रतिक्रिया दी है.

 बीजेपी के प्रदेश प्रवक्ता निखिल आनंद ने ट्वीट कर लिखा है कि 'बिहार के शिक्षा मंत्री चंद्रशेखर बार-बार हिंदू सनातन धर्म में आस्था रखने वालों को बेइज्जत कर रहे हैं. अगर हिंदू होने से कष्ट है तो धर्म परिवर्तन करके मुसलमान बन जाए. चंद्रशेखर बताएं कि अपने घर- खानदान में शादी- विवाह- मृत्यु का संस्कार किस पद्धति से करते हैं.'रामचरितमानस को मस्जिद में लिखे जाने की बात दानापुर से आरजेडी के विधायक रीतलाल यादव ने की थी. विवादित बयान के साथ बीजेपी पर आक्रमण करते हुए उन्होंने बोला था कि यह लोग हिंदुत्व की बात करते हैं. ये लोग राम मंदिर की बात करते हैं परंतु याद करिए जो रामचरितमानस की बात करते हैं वह मस्जिद में लिखा गया था. इतिहास उलट कर देख लीजिए. उस वक्त क्या हिंदुत्व खतरे में नहीं था. रीतलाल यादव ने यह भी बोला है कि बीजेपी को अगर मुस्लिम से दिक्कत है तो बीजेपी में जितने भी मुस्लिम नेता हैं उनको बाहर निकाल देना चाहिए. आप अगर सच्चा हिंदुत्ववादी हैं तो आपके पार्टी में जितने भी मुस्लिम नेता हैं उसे हटा दीजिए. मुस्लिम लोगों को अपनी पार्टी में नहीं लाना चाहिए था.हालांकि जेडीयू ने आरजेडी विधायक और शिक्षा मंत्री के बयान से किनारा किया है .जेडीयू प्रवक्ता अभिषेक झा ने बोला है कि धर्म आस्था का विषय है. कोई भी व्यक्ति किसी धर्म में आस्था रखता है. यह उनका निजी मामला होता है. लेकिन ताज्जुब की बात है कि संवैधानिक पद पर बैठे हुए लोग भी अपनी सहूलियत के हिसाब से कुछ भी अनर्गल वर्णन दे देते हैं. उनको ऐसे बयानों से बचना चाहिए. इससे गलत मैसेज जाता है. धर्म पर जिक्रबाजी बीजेपी का एजेंडा है.

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