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संतोष मांझी के त्यागपत्र से बिहार में बढ़ी खलबली, उपेंद्र कुशवाहा ने बता दिया आगे का 'सीन'


संवाद 


बिहार के पूर्व मुख्यमंत्री और हिंदुस्तानी आवाम मोर्चा (HAM) के संरक्षक जीतन राम मांझी (Jitan Ram Manjhi) के बेटे संतोष मांझी (Santosh Manjhi) के त्यागपत्र के बाद बिहार में सियासी खलबली बढ़ गई है. हालांकि वह एनडीए (NDA) के साथ जाएंगे या आगे क्या करेंगे इस पर इन्होंने कुछ साफ नहीं किया है लेकिन महागठबंधन सरकार (Bihar Mahagathbandhan Sarkar) के विरुद्ध अलग-अलग पार्टियों से प्रतिक्रिया आने लगी है. मंगलवार (13 जून) को संतोष मांझी के त्यागपत्र के बाद आरएलजेडी के राष्ट्रीय अध्यक्ष उपेंद्र कुशवाहा (Upendra Kushwaha) ने बड़ा वर्णन दिया है.कुछ महीने पहले ही बिहार के सीएम नीतीश कुमार का साथ छोड़कर आए उपेंद्र कुशवाहा ने अपनी पार्टी बनाई है. आरएलजेडी के वो राष्ट्रीय अध्यक्ष हैं. उपेंद्र कुशवाहा ने मंगलवार को ट्वीट कर बोला- "जर्जर किला को ढहने के लिए एक-एक नहीं, बल्कि एक ईंट का खिसकना ही काफी है. यह तो मात्र ट्रेलर है. देखते जाइए, एक के बाद एक दृश्य. जल्दी ही "द एंड" वाला सीन भी आ‌ ही जाएगा."बता दें कि उपेंद्र कुशवाहा जब जेडीयू छोड़कर अलग हुए थे तो उन्होंने उसी समय बोला था कि महागठबंधन सरकार में सब ठीक नहीं है. 

इन्होंने बोला था कि कई विकेट गिरेंगे. धीरे-धीरे अब सब खुलकर सामने आने भी लगा है. 

उपेंद्र कुशवाहा के अलग होने के बाद पूर्व सांसद मीना सिंह ने भी जेडीयू का साथ छोड़ दिया था. कई छोटे पदों पर भी नेता और कार्यकर्ता जेडीयू से अलग हो गए हैं. अब एक बार महागठबंधन सरकार में संतोष मांझी के त्यागपत्र के बाद बिहार में फिर से सियासी खलबली तेज हो गई है. संतोष मांझी ने त्यागपत्र देने के बाद खुद इसका वजह बता दिया है. उन्होंने प्रेस कॉन्फ्रेंस कर बोला कि उनके पास प्रस्ताव आया था कि जेडीयू के साथ पार्टी का विलय कर लिया जाए. हमने अपने कार्यकर्ताओं, विधायकों और सभी से बात की तो सबने मना कर दिया. संतोष मांझी ने बोला कि एनडीए में जाने को लेकर कोई न्याय नहीं हुआ है. और बता दे कि हम अकेले ही चुनाव लड़ सकते हैं.


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