इसलिए अंतत: बिहार सरकार दरभंगा एम्स के लिए डीएमसीएच परिसर में ही 150 एकड़ जमीन देने पर राजी हो गई.
82 एकड़ जमीन आवंटित भी कर दी गई थी.सुशील मोदी ने बोला कि इस बीच नीतीश कुमार ने प्रधानमंत्री बनने की महत्वाकांक्षा के वजह जैसे ही राजद से हाथ मिलाया और सरकार बदल दी, वैसे ही दरभंगा एम्स सहित कई प्रगति परियोजनाओं पर ग्रहण लग गया. बदली सरकार में आरजेडी और जेडीयू के बीच दरभंगा एम्स का श्रेय लेने की होड़ मच गई.इन्होंने बोला कि लालू प्रसाद के करीबी भोला यादव ने जब किसी संवैधानिक पद पर रहे बिना अशोक पेपर मिल (हायाघाट) की जमीन पर एम्स बनने की ऐलान कर दी, तब इसके जवाब में जेडीयू के लोग शोभन में एम्स बनवाने के लिए सक्रिय हुए. इन्होंने बोला कि नीतीश कुमार के इशारे पर मधेपुरा के दिनेशचंद्र यादव सहित जेडीयू सांसदों ने केंद्र सरकार को ज्ञापन देकर दरभंगा के बजाय सहरसा में एम्स बनवाने की मांग कर दी.पूर्व उपमुख्यमंत्री ने बोला कि बाद में जेडीयू के दबाव में बिहार सरकार ने शोभन में जो 151 भूमि आवंटित की, वह एम्स का भवन बनाने के लिए उपयुक्त नहीं पायी गई. इन्होंने बोला कि शोभन की 20-30 फीट गड्ढे और जल-जमाव वाली जमीन का निरीक्षण करने बाद केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय की टीम ने इसे अस्वीकार कर दिया और कोई दूसरी भूमि आवंटित करने का अनुरोध किया है. इस प्रकार नीतीश कुमार ने दरभंगा एम्स की योजना को गहरे गड्ढे में धकेल दिया. ऐसी सियासत बिहार की जनता के प्रति जान समझर किया गया अत्याचार है.