ऐसी सरकार का सत्ता में रहना बिहार के भविष्य के लिए आत्मघाती सिद्ध होगा.
बिहार एक वक्त में ज्ञान-विज्ञान की भूमि के नाम से विश्वविख्यात था, लेकिन यह अभाग्य की बात है कि आज हमारे यहां स्कूलों में बुनियादी आवश्यकताओं का भी अभाव हो गया है, यहां के ज्यादातर स्कूलों में बेंच-डेस्क और शिक्षक तो दूर अपना भवन तक प्राप्त नहीं है. अभी भी निरंतर 5 हजार सरकारी स्कूलों के पास अपना भवन नहीं है और जहां अपना भवन है, वो जीर्ण-शीर्ण और जर्जर अवस्था में है.नेता प्रतिक्ष ने बोला कि बिहार के लिए यह कितने लज्जा की बात है कि रिपोर्ट के अनुकूल यहां के पांचवीं कक्षा के 57 प्रतिशत बच्चे कक्षा दो का पाठ भी नहीं पढ़ पाते हैं, वहीं कक्षा तीन के 80 प्रतिशत बच्चों का यही हाल है. बिना पढ़ाई कराए परीक्षा लेकर अघोषित कदाचार युक्त वाली सर्टिफिकेट देकर बिहार के प्रतिभा का हनन और भविष्य को अंधकारमय करने का खेल कब तक चलेगा? महागठबंधन सरकार केवल लूट की छूट वाली योजनाओं पर ही फोकस करती है इनकी सरकार को बिहार की शिक्षा बंदोबस्त से कोई सरोकार नहीं है और कुर्सी के लिए केवल जातीय उन्माद पैदा करना इनकी मानसिकता बन चुकी है. बिहार की जनता को अब जागरूक होने की जरुरत है.