प्रशांत किशोर ने बोला कि प्रशासक के तौर पर नीतीश कुमार वो व्यक्ति नहीं हैं और न ही राजनेता के तौर पर नीतीश वो व्यक्ति हैं.
नीतीश कुमार आज कोई न कोई जुगाड़ निरंतर सीएम की कुर्सी से चिपके रहना चाहते हैं.
वहीं, ओडिशा रेल हादसे पर इन्होंने बोला कि बालेश्वर जिले में हुए दर्दनाक रेल दुर्घटना की जिक्र हर तरफ है. इस दुघर्टना के शिकार बिहार के मोतिहारी जिले के भी कुछ लोग हुए हैं, जो कि कोरोमंडल एक्सप्रेस में सवार थे. रोजी-रोटी की तलाश में जा रहे थे. पूर्वी चंपारण के रामगढ़वा प्रखंड के चिकनी गांव के दो मजदूरों की भी इस दुघर्टना में मृत्यु हो गई है.चुनावी रणनीतिकार ने बोला कि लोगों ने पेट काट-काटकर अपने बच्चों को बड़ा किया, जैसे ही इनके बच्चे 20 से 25 साल के हुए वैसे ही यहां के जवान लड़कों को भेड़-बकरी की तरह ट्रेनों और बसों में लादकर मजदूरी के लिए दूसरे राज्यों में भेज दिया जाता है. बिहार के लोगों ने 40 में से 39 सांसद मोदी के लिए जिताकर लाए, लेकिन क्या इन्होंने बिहार के प्रगति के लिए एक बैठक तक भी करना आवश्यक समझा?जन सुराज के संस्थापक ने बोला कि कोरोना के वक्त पर देखा कि जिन बिहार के मजदूरों को दूसरे राज्यों के लोगों ने मारकर भाग दिया था, उन्हीं मजदूरों को ट्रेन से, बसों से और हवाई जहाज का टिकट देकर लॉकडाउन हटने के बाद वापस बुलाया गया. बिहार के लोगों ने कभी सोचा कि बिहार के मजदूरों को ही आखिर क्यों बुलाया गया? क्या तमिलनाडु, केरल और सूरत में मजदूर नहीं हैं? वहां भी मजदूर हैं लेकिन वहां के मजदूर 35 हजार रुपये तनखाह लेता हैं और बिहार का गरीब लड़का जाकर 12-15 हजार रुपये में कार्य कर रहा है तो मोदी बिहार में फैक्टरी क्यों लगाएंगे? जब सस्ते दाम पर बिहार के मजदूर दूसरे राज्यों में मिल रहे हैं.