दूसरे दल की तो दूर की बात है. इन्होंने तो अपने नेताओं को भी नहीं छोड़ा है.
आरसीपी सिंह को इन्होंने कैसे प्रताड़ित किया. समय-समय पर अपने स्वार्थ के लिए गठबंधन बदलने के लिए धोखा दिया. बीजेपी से बेहतर कोई नहीं जान सकता कि नीतीश कुमार ने कितनी बार उनको धोखा दिया है. कब-कब पलटी मारी है. वहीं, गठबंधन को लेकर चिराग पासवान ने बोोला कि सही वक्त आने पर पता चल जाएगा किस गठबंधन में जा रहा हूं, यह तय है कि मैं चुनाव गठबंधन के साथ ही लडूंगा.चिराग पासवान ने विपक्षी एकत्व पर आक्रमण बोलते हुए कहा कि नीतीश कुमार विपक्षी एकत्व के लिए कोशिश कर रहे हैं. बैठकें चल रही हैं, लेकिन इन बैठकों से क्या नतीजा निकलता है? एक साथ एक मंच पर जिक्र करना आसान है. साथ मिलकर कई राज्यों में चुनाव लड़ना जहां पर वो एक दूसरे के विरुद्ध लड़ते रहे हैं. विपक्षी एकत्व का नेतृत्व कौन करेगा? क्या उस पर सबकी सहमति बनेगी? कुछ दिन पहले बैठक हुई थी उस समय भी कुछ दलों में मतभेद देखने को मिले थे. आने वाले समय में पता चलेगा कि विपक्षी एकत्व एक साथ रहते हैं या इलेक्शन आते-आते अलग हो जाएंगे.