क्या वह अपने पुराने गठबंधन बीजेपी में जाएंगे या फिर महागठबंधन जाएंगे.
बीते घटनाक्रम से कयास लगाया जा रहा है कि मुकेश सहनी महागठबंधन को बाय-बाय करेंगे और बीजेपी में सम्मिलित हो सकते हैं, ऐसा इसलिए बोला जा रहा है कि मुकेश सहनी को मंत्री रहते हुए जो सरकारी आवास मिला था, उसमें मंत्री पद से हटने के बाद भी वह करीब एक साल तक रहे, लेकिन नीतीश सरकार कभी इनके बंगले को खाली करने के लिए नहीं बोला. आवास बोर्ड ने भी कभी इन्हें नोटिस नहीं दिया. ऐसा देखा जाता है कि अधिकांश नेताओं को बंगला खाली करने के लिए नोटिस दिया जाता है, लेकिन ऐसा मुकेश सहनी के साथ नहीं हुआ.महागठबंधन की सरकार कहीं ना कहीं मुकेश सहनी का आवास खाली करने का दबाव नहीं बना कर उन्हें अपने पाले में करने की फिराक में थी लेकिन मुकेश सहनी ने पिछले 20 दिन पहले खुद ब खुद सरकारी बंगले को खाली कर दिए. कंकड़बाग में वे अपना फ्लैट ले ले लिए हैं. इस फ्लैट में आवास के साथ-साथ इनका दफ्तर भी रहेगा.मुकेश सहनी पर बीजेपी पहले से ही डोरे डाल चुकी है. 2 महीने पूर्व केंद्रीय एजेंसियों का हवाला देते हुए मुकेश साहनी को वाई श्रेणी की हिफाजत दी गई है, उस समय से कयास लगया जा रहा था कि मुकेश सहनी बीजेपी में जा सकते हैं, लेकिन सहनी खुद-ब-खुद बंगला खाली कर महागठबंधन से दूरी का इशाारा दे चुके हैं. कहीं ना कहीं वह केंद्र के दिए गए तोहफा वाई श्रेणी हिफााजत को कबूल करना चाहते हैं. ऐसा माना जा रहा है कि वह बीजेपी मेंं सम्मिलित हो सकते हैं. अगर 2 महीने बाद उसी बंगले में रहकर वह अगर बीजेपी में जाने की ऐलान करेंगे तो उन पर सरकार का दबाव बनता और फजीहत होती हालांकि राष्ट्रीय प्रवक्ता देव ज्योति ने भी ऑफ रिकॉर्ड में बोला है कि हमारी पार्टी एनडीए की तरफ जा सकती है .इन सब के बीच एक प्रश्न यह भी उठ रहा है कि 2020 में जिस तरह मुकेश सहनी का जलवा दिखा था ,वे मंत्री भी बनाए गए थे .चार विधायक उनकी पार्टी से भी जीत कर आए थे तो क्या वह जलवा 2024 में दिख सकता है. ऐसा इसलिए कि 2020 के बाद मुकेश सहनी की साथ के उनकी पार्टी से उनके ही समाज से आने वाले कई दिग्गज कार्यकर्ता और नेता पार्टी को छोड़ चुके हैं. वीआईपी के स्थापना के वक्त ही निषाद समाज के करीब एक दर्जन संगठन ने मुकेश साहनी को सपोर्ट किया था लेकिन अधिकांश संगठन 'वीआईपी' को छोड़ चुके हैं और सभी ने मिलकर एक नई पार्टी 'विकाशसिल स्वराज पार्टी' का निर्माण किया है. उसमें सभी पदों पर निषाद समाज के ही लोग हैं. पार्टी इस पार्टी के प्रधान महासचिव प्रेम चौधरी का बोलना है कि हमारे पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष मुकेश निषाद जो निषाद सेना के राष्ट्रीय अध्यक्ष रह चुके हैं जब मुकेशसहनी आए थे तो सबसे पहले निषाद समाज के 12 संगठनों से को अपने पाले में किया था इसमें और हम सभी लोग उनके साथ हो गए थे, लेकिन जिस तरीके से 2020 के चुनाव के बाद सिर्फ अपने बारे में सोचकर नेताओं और कार्यकर्ताओं का मनोबल को गिराने का कार्य किए इससे क्षुब्ध होकर हम लोग पार्टी को छोड़ दिए और अब निषाद समाज मुकेश सहनी के बहकावे में आने वाला नहीं है.
प्रेम चौधरी ने बताया कि वह सन ऑफ मल्लाह कहते हैं लेकिन वह तो मल्लाह है ही नहीं. निषाद समाज में 16 उपजातियां हैं उनमें बनपर जाति से मुकेश सहनी आते हैं. जबकि हम सभी लोग मल्लाह जाति के हैं और करीब डेढ़ प्रतिशत मल्लाह जाति का मतदान है जो मुकेश सहनी पर काफी ज्यादा खफा है. मुकेश सहनी ने सिर्फ अपने बारे में सोचा और निषाद समाज के अधिकार के बारे में इन्होंने कभी ध्यान नहीं दिया. अब प्रश्न उठता है कि जिस जाति के बदौलत मुकेश सहनी का बिहार में कद बढ़ा है ,अगर 2024 के लोकसभा चुनाव में इनके ही समाज के लोग इनसे दूरी बनाए बना देते हैं और बता दें कि मुकेश सहनी के साथ उनके गठबंधन के लिए भी खौफ की घंटी है.