बिहार में ट्रांसफर पोस्टिंग का मामला एक बार फिर तूल पकड़ने लगा है. पहले शिक्षा विभाग और अब भू राजस्व विभाग में हुए ट्रांसफर पोस्टिंग के खेल ने आरजेडी और जेडीयू के बीच टकराव की स्थिति पैदा कर दी है.
दरअसल भू राजस्व मंत्री आलोक मेहता ने 30 जून को 480 विभागीय अधिकारियों और कर्मचारियों के ट्रांसफर कर दिए थे, इस बात की जानकारी जैसी ही सूबे के मुखिया नीतीश कुमार को लगी वैसे ही उन्होंने सभी ट्रांसफर पोस्टिंग को तत्काल प्रभाव से रद्द कर दिया.
भू राजस्व विभाग के राजद कोटे में मंत्री आलोक मेहता ने 30 जून को 480 अफसरों का ट्रांसफर कर दिया था, जिसे अब रद्द कर दिया गया है. माना जा रहा है कि उस ट्रांसफर पोस्टिंग में बड़े पैमाने पर वित्तीय खेल हुआ है. राजद मंत्री पर ऐसे भी आरोप लगे कि उन्होंने स्थानीय विधायकों की अनुशंसा पर गौर नहीं किया. इस दौरान ट्रांसफर के समय को भी ताक पर रखा गया. नियम है कि 3 वर्ष की पोस्टिंग पूरी होने के बाद ही किसी कर्मचारी का ट्रांसफर किया जा सकता है.
मुख्यमंत्री ने साफ कह दिया है कि यह अनावश्यक ट्रांसफर पोस्टिंग थी. जो नियम बिहार में बनाए गए हैं, उन नियमों को दरकिनार कर ट्रांसफर पोस्टिंग की गई है. अब नए सिरे से लिस्ट तैयार की जाएगी. पूर्व में किए गए ट्रांसफर पोस्टिंग के बारे में बहुत तरह की बातें सामने आ रही हैं.
तीसरी बार ट्रांसफर पोस्टिंग को नीतीश कुमार ने किया रद्द
ऐसा पहली बार नहीं है, जब ट्रांसफर पोस्टिंग को लेकर सवाल उठाए जा रहे हैं. ये तीसरा मौका है जब ट्रांसफर पोस्टिंग जैसे विषय पर मुख्यमंत्री को सीधे हस्तक्षेप करना पड़ा है. इसके पहले 2020 और 2022 में भी ट्रांसफर पोस्टिंग मुख्यमंत्री की ओर से रद्द किए जा चुके हैं. इसके पहले दोनों बार यह विभाग भाजपा के पास था. भाजपा के पूर्व राजस्व मंत्री रामसूरत राय ने आरोप लगाया है मुख्यमंत्री के बेहद करीबी कुछ जमीन के कारोबारियों के दबाव में ऐसा होता है.
ट्रांसफर-पोस्टिंग के पांच आदेश जारी किए गए
गौरतलब है की आलोक कुमार मेहता के विभाग ने 30 जून की रात ताबड़तोड़ ट्रांसफर-पोस्टिंग के पांच आदेश जारी किए थे. इनमें 517 पदाधिकारियों के तबादले की अधिसूचना जारी की गई थी. 37 पदाधिकारियों को अपने मूल कैडर में वापस भेजा गया था. बाकी 480 अधिकारियों को बिहार के अलग-अलग अंचलों में पोस्टिंग की गई थी.
इनमें सबसे ज्यादा 395 अंचलाधिकारी यानि सीओ की ट्रांसफर पोस्टिंग की गई थी. बिहार सरकार के नियमों के मुताबिक साल के जून महीने में मंत्रियों को ये अधिकार होता है कि वह अपने विभाग के पदाधिकारियों की ट्रांसफर पोस्टिंग कर सकते हैं. इसके अलावा किसी दूसरे महीने में ट्रांसफर पोस्टिंग करने पर उसकी मंजूरी मुख्यमंत्री से लेनी होती है.
ट्रांसफर पोस्टिंग में कई तरह की लापरवाही आई सामने
जून महीने के आखिरी दिन मंत्री आलोक कुमार मेहता के विभाग में ताबड़तोड़ ट्रांसफर पोस्टिंग का नोटिफिकेशन जारी किया गया. राज्य सरकार का नियम है कि किसी पदाधिकारी की पोस्टिंग एक स्थान पर तीन साल के लिए करनी है. बहुत विशेष परिस्थिति में ही 3 साल से पहले किसी अधिकारी की ट्रांसफर पोस्टिंग की जा सकेगी.
लेकिन आलोक मेहता ने बिहार के लगभग 75 परसेंट सीओ का एक झटके में ट्रांसफर कर दिया. इनमें से ज्यादातर ऐसे थे जिनकी पोस्टिंग के तीन साल नहीं हुए थे. यही नहीं 6 महीने-एक साल पहले जिसकी पोस्टिंग हुई थी, उसका भी ट्रांसफर कर दिया गया. राजस्व एवं भूमि सुधार विभाग में हुए खेल के बाद मुख्यमंत्री कार्यालय से सख्त दिशा-निर्देश दिए गए थे.
इसके बाद आज राजस्व एवं भूमि सुधार विभाग ने खुद अधिसूचना जारी की है. इसमें 30 जून को जारी ट्रांसफर पोस्टिंग की अधिसूचना संख्या-4159(3), 416(3), 417(3) और 418(3) को निरस्त करने का आदेश जारी किया गया है.
विभाग की अधिसूचना में कहा गया है कि बिहार सरकार के राजस्व पदाधिकारी, अंचल अधिकारी, सहायक बंदोबस्त पदाधिकारी, सहायक चकबंदी पदाधिकारी जैसे पदों पर 30 जून को किया गया तबादला निरस्त किया जाता है.