वाटर लेबल दिन प्रतिदिन नीचे जा रहा है, जिस वजह से जिले के कई प्रखंडों में चापाकल पानी देना बंद कर दिया है.
बिहार सरकार को उसकी चिंता ज्यादा करनी चाहिए और संजय झा बयान देते हैं कि बाढ़ से बचाव के लिए केंद्र सरकार को नेपाल से बात करनी चाहिए. इनको पूरा यकीन है कि जो भी तटबंध बनाए गए हैं, वह थोड़ी सी बाढ़ की पानी आई तो बनाई गई तटबंध बह जाएगा. इस कारण बस अपनी नाकामी का ठीकरा पहले से ही केंद्र सरकार पर थोपने की तैयारी कर रहे हैं.बीजेपी सांसद ने बोला कि बारिश की कमी के वजह से किसान त्राहिमाम कर रहे हैं. आम लोगों को पीने का पानी कष्ट से मिल रहा है. इस परिस्थिति में भी बिहार सरकार में नल-जल घोटाला के कारण पूरे प्रदेश में नल जल टॉवर शोभा की वस्तु मात्र बन कर रह गया है. त्रिस्तरीय पंचायत का अधिकार को छीनकर सरकार मंत्री स्तर पर दे रही है, जिससे राशि का बंदर बाट हो सके. केन्द्र सरकार चाहती है कि हर खेत के लिए बिजली की व्यवस्था हो, इसके लिए केन्द्र सरकार ने पूरा पैसा दे दिया है. इसके बाद भी बिहार में यह प्रोजेक्ट 2 साल बीत जाने के बावजूद पीछे चल रहा है.वहीं, आगे बीजेपी नेता ने बोला कि दरभंगा एम्स के लिए चयनित जमीन पर 350 करोड़ रुपये मिट्टी भराई के नाम आवंटित किया गया, जबकि 350 करोड़ रुपये में दरभंगा के किसी और हिस्से में जमीन लेकर एम्स बनाया जा सकता है, लेकिन बिहार सरकार विकास विरोधी की नीयत पाल रखी है. इस कारण यहां भी घोटाले की नीयत से 350 करोड़ की राशि मिट्टी भराई के नाम खर्च किया जा रहा है.