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भारत ने बंद किया निर्यात तो अमेरिका में मचा हाहाकर, दुकानों में चावल की होने लगी लूट

संवाद 

केंद्र सरकार ने गुरुवार को एक सरकारी नोटिस जारी कर गैर-बासमती सफेद चावल के निर्यात पर तत्काल प्रभाव से प्रतिबंध लगा दिया है। मॉनसून की स्थिति को देखते हुए यह कदम उठाया गया है। बारिश में कमी कारण उत्पादन में कमी की आशंका बढ़ गई है।

इसका असर दुनिया के कई देशों में देखने को मिलने लगा है। अमेरिका भी इससे अछूता नहीं है। वहां की दुकानों और मॉल में भारतीय चावल खरीदने की होड़ सी मची है। लोग शॉफिंग सेंटर की तरफ भाग रहे हैं। चावल खरीदने के लिए अफरा-तफरी की स्थिति देखने को मिल रही है। इसके कई वीडियो सोशल मीडिया में शेयर किए जा रहे हैं।

आपको बताते चलें कि विश्व चावल निर्यात में भारत की हिस्सेदारी 40% से अधिक है। 2022 के आंकड़े के मुतबाकि, भारत ने 55.4 मिलियन मीट्रिक टन चावल का निर्यात किया था। यह दुनिया के अनाज के चार सबसे बड़े निर्यातकों थाईलैंड, वियतनाम, पाकिस्तान और संयुक्त राज्य अमेरिका से भी /अधिक है।

भारत 140 से अधिक देशों को चावल निर्यात करता है। भारतीय गैर-बासमती चावल के प्रमुख खरीदारों में बेनिन, बांग्लादेश, अंगोला, कैमरून, जिबूती, गिनी, आइवरी कोस्ट, केन्या और नेपाल के अलावा ईरान, इराक और सऊदी अरब जैसे देश शामिल हैं। ये देश मुख्य रूप से भारत से प्रीमियम बासमती चावल खरीदते हैं।

भारत ने 2022 में 17.86 मिलियन टन गैर-बासमती चावल का निर्यात किया। इसमें 10.3 मिलियन टन गैर-बासमती सफेद चावल भी शामिल है। सितंबर 2022 में भारत ने टूटे हुए चावल के निर्यात पर प्रतिबंध लगा दिया और चावल के विभिन्न ग्रेड के निर्यात पर 20% शुल्क लगा दिया। केंद्र सरकार ने बासमती चावल और उबले चावल के निर्यात पर कोई प्रतिबंध नहीं लगाया है।

भारतीय किसान साल में दो बार धान की रोपाई करते हैं। जून में बोई गई फसल से कुल उत्पादन 80% से अधिक है। 2022/23 में यह 135.5 मिलियन टन थी। सर्दियों के महीनों में धान की खेती मुख्य रूप से मध्य और दक्षिणी राज्यों में की जाती है। पश्चिम बंगाल, उत्तर प्रदेश, आंध्र प्रदेश, पंजाब, ओडिशा और छत्तीसगढ़ देश के प्रमुख चावल उत्पादक राज्य हैं।

चावल की खेती को बढ़ावा देने के लिए भारत सरकार ने किसानों से नए सीजन के धान खरीदने की कीमत में 7% बढ़ोतरी की है। सरकार 2,183 रुपये प्रति 100 किलोग्राम के दाम पर धान खरीदती है। लेकिन इस साल मॉनसून के ट्रेंड काफी खराब रहे हैं। इसलिए इस बात की आशंका है कि धान के रकबे में मामूली गिरावट आ सकती है।

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