जन सुराज के सूत्रधार और चुनावी रणनीतिकार प्रशांत किशोर (Prashant Kishor) इन दिनों समस्तीपुर में पदयात्रा कर रहे हैं. इस दौरान वह निरंतर लोगों को संबोधित कर रहे हैं. बुधवार को उन्होंने जेडीयू (JDU) और आरजेडी (RJD) पर तीखा आक्रमण किया. उन्होंने बोला कि किसी भी बिहार के नेता जैसे कि आरजेडी, जेडीयू या किसी लोकल पार्टी के नेताओं से हिम्मत जुटाकर प्रश्न पूछा जाना चाहिए कि पार्टी कैसे चलती है? तेजस्वी यादव अपना बर्थडे प्राइवेट प्लेन में मनाते हैं, उसका पैसा कहां से आता है? नीतीश कुमार (Nitish Kumar), तेज प्रताप (Tej Pratap Yadav) और तेजस्वी यादव (Tejashwi Yadav) जनता को जवाब दें कि भईया तुम्हारे दल को चलाने के लिए पैसा आता कहां से आता है? आपका तो बिहार से बाहर कहीं कोई ठिकाना नहीं है. इन दोनों दलों के पास आधा-आधा बिहार है,इसी गरीब बिहार को लूटकर ये अपनी पार्टी चला रहे हैं.प्रशांत किशोर ने बोला कि मैंने 10 वर्षों में पूरे देश में कार्य किया है और आज देश के 6 राज्यों में ऐसे लोगों की सरकार है, जिनके बनने में हमने कंधा लगाया है. जन सुराज का अभियान जब मैंने प्रारंभ किया, तो मैं घर-घर जाकर, गांव-गांव जाकर ये आश्वासन दे रहा हूं कि आप गरीब से गरीब व्यक्ति भी हैं. आप समाज में बिहार के राजनीतिक विकल्प के लिए नया प्रयास करना चाहते हैं तो आप धन की, व्यवस्था की, संसाधन की चिंता मुझ पर छोड़िए और आप आइए और नया बिहार बनाइए.जन सुराज के संस्थापक ने बोला कि संसाधन कहीं से लाना पड़ेगा, ये उन लोगों से सहायता ली जा रही है,
जिनको पिछले दस सालों में देश के अलग-अलग हिस्सों में चुनाव जीतने में हमने सहायता की है.
बिहार में कोई ऐसा माई का लाल नहीं है, जो ये खड़ा होकर बोल दे कि मैंने उनसे एक रुपया भी लिया हो, यहां एक कप चाय भी मैं किसी का नहीं पीता हूं, अपना चाय, खाना, टेंट, तंबू, गाड़ी लेकर चलता हूं. आप देख रहे हैं एक वर्ष से मैं अपने खर्च पर चल रहा हूं.चुनावी रणनीतिकार ने आगे बोला कि यह व्यवस्था मैंने इसलिए बनाई है ताकि बिहार में जो ठेकेदार हैं, माफिया हैं, पैसे वाले हैं उनका असर जन सुराज पर न पड़े, उनका दबाव न पड़े. मैं अगर पैसे की बंदोबस्त बाहर से नहीं करूंगा, तो जो यहां पैसे वाले हैं, शराब माफिया, बालू माफिया हैं, जैसे उन्होंने दूसरे दलों पर कब्जा किया है, वे जन सुराज को भी कब्जा में कर लेंगे. और बता दूँ कि मैं भी अगर किसी गरीब आदमी को आगे बढ़ाना चाहूंगा तो भी वह नहीं कर पाऊंगा.