बिहार के सबसे प्रसिद्ध बाबा गरीबनाथ में हर वर्ष लाखों की संख्या में भक्तों के द्वारा बाबा पर जलार्पण किया जाता है. यहां लोग पहलेजा घाट से गंगा जल लेकर हाजीपुर के रास्ते मुजफ्फरपुर आते हैं और बाबा का जलाभिषेक करते हैं. भीड़ को देखते हुए जिला प्रशासन और मंदिर कमेटी की तरफ से पूरी बंदोबस्त की जाती है. रास्ते में कांवरियों के लिए जगह-जगह आराम करने और सेवा दलों एवं प्रशासन के द्वारा उन्हें पानी, शरबत और अन्य तरह की सुविधाएं उपलब्ध करवाई जाती हैं.
हर बार की तरह इस बार भी सीसीटीवी लगवाई गई है ताकि पूरी नजर रखी जा सके.
मंदिर के पुजारी महंत अभिषेक पाठक ने बताया कि इसका इतिहास 100 वर्ष से भी पुराना है. यहां एक बरगद का पेड़ था. बोला जाता है कि पेड़ की कटाई के दौरान बाबा स्वयं प्रकट हुए थे जिसके बाद से यहां उनकी पूजा प्रारंभ हो गई. धीरे-धीरे मंदिर का जीर्णोद्धार होता गया और आज लाखों लोग यहां आते हैं. उन्होंने बोला कि उसी वक्त से उनके पूर्वज यहां पूजा करवाते आ रहे हैं. महंत अभिषेक पाठक ने मंदिर का इतिहास बताया गजब का है.उन्होंने बोला कि एक बार मंदिर में एक व्यक्ति जो बाबा भोलेनाथ का बहुत बड़ा भक्त था वह सोया हुआ था. उसने बेटी की शादी तय कर दी थी लेकिन खर्चों को नहीं जुटा पाने के कारण से वह परेशान था. जब वह सोया था तो उसके सपने में भगवान शिव आए और उन्होंने बोला कि जाओ तुम्हारी बेटी की शादी हो जाएगी. उसके बाद वह व्यक्ति जब अपने घर पहुंचा तो उसने देखा कि उसके घर में बेटी की शादी से जुड़े सभी सामान आ चुके हैं.भोले के भक्त ने अपनी पत्नी से पूछा कि सामान कहां से आया तो इस पर जवाब मिला कि आपने ही तो भिजवाया है. इसी के बाद से यहां बाबा की पूजा गरीब नाथ के नाम से की जाती है. मान्यताओं के अनुकूल यहां जो भी भक्त पूरी श्रद्धा के साथ कोई भी मन्नत मांगता है उसे बाबा अवश्य पूरा करते हैं.