डोमिसाइल नीति को लागू करवाने के लिए जब हम प्रदर्शन करेंगे तो इस पर आप लाठी चलाएंगे,
गिरफ्तार करेंगे. इसका क्या मतलब है हमारे साथी विजय शहीद हुए और आप मजाक कर रहे हैं. नीतीश कुमार अपने पुलिस को निरंकुश नहीं बनाए.वहीं, इस मुद्दे पर बीजेपी सांसद राकेश सिन्हा ने बोला कि पहली बार भारतीय सियासत में किसी कत्ल के औचित्य को स्थापित किया जा रहा है. प्रदर्शन करने का राजनीतिक दलों को हक होता है, लेकिन इस प्रदर्शन पर इस तरह का जुल्म किया जाए, इस तरह से हिंसा का उपयोग किया जाए. एक व्यक्ति की सड़क पर कत्ल हो गई. लगता है नीतीश कुमार उन सभी सीमाओं को पार कर गए हैं जिन सीमा को अब्दुल गफूर ने 1974 में पार किया था. 1974 में अब्दुल गफूर ने इसी प्रकार का अत्याचार किया था, जिसके खिलाफ आंदोलन हुआ था. जिसका नेतृत्व लालू यादव और नीतीश कुमार ने किया था. आज वही लोग अब्दुल गफूर के उनके कृत्यों की पुनरावृत्ति कर रहे हैं. जनता भी इसका जवाब 1974 के आंदोलन की तरह देगी. आज भारतीय जनता पार्टी इस स्थिति में आ गई है कि बिहार में अकेले अपने बलबूते पर ऐसी ताकतों को खत्म करने के लिए तैयार है.