बिहार की राजधानी पटना में डिजिटल मीडिया से जुड़े पत्रकार एवं यूट्यूबरो का आशियाना। पटना राजद कार्यालय के दीवाल से सटे बनी दो झोपड़िया अब उजड़ गई। पटना नगर निगम ने पत्रकारों के बैठने के लिए करोना काल के दौरान बनी झोपड़ियों को उजाड़ने का आदेश दिया था उस इलाके को ग्रीन जोन में तब्दील किया जा रहा है। फुटपाथ का सौंदर्यीकरण किया जा रहा है होना भी चाहिए सरकारी फंड है तो कहीं इस्तेमाल भी होगा शहर सुंदर होगा तो भी बेहतर है पर सोचिए उन चार पांच सौ स्वतंत्र पत्रकारों के बारे में जो शहर के पल-पल की गतिविधियों को अपने मोबाइल और कैमरे में कैद करके पूरे देश दुनिया को दिखाते हैं जिनके बैठने के लिए पूरे पटना में कोई जगह नहीं है आय का कोई निश्चित साधन नहीं है उन लोगों ने दो झोपड़ि का निर्माण राजद कार्यालय के बाहर किया था जिसमें एक युवा पत्रकार संघ के नाम से और दूसरा वरिष्ठ पत्रकार के नाम से संगठन भी बना था। यहां आपसी सहयोग से वाईफाई लगाया गया था ताकि पत्रकार त्वरित गति से अपनी खबरों को अपने चैनल अखबार को भेज सकें। बैठने के लिए चौकी और कुर्सियां थी पीने के लिए पानी था किसी भी प्रकार की गैर कानूनी कार्य को यहां संपादित नहीं किया जाता था समाज के सबसे प्रखर प्रहरी समझे जाने वाले पत्रकारों ने सरकारी आदेश के बाद बिहार के उपमुख्यमंत्री तेजस्वी यादव से गुरुवार को मिलकर एक ज्ञापन भी दिया था तथा कहा था कि कुछ समय के लिए आदेश पर रोक लगाया जाए तथा उन लोगों के बैठने के लिए उसी इलाके में कोई जगह आवंटित की जाए। पटना में डिजिटल मीडिया के कितने चैनल है और कितने पत्रकार है इसका अकड़ा बिहार के किसी भी विभाग के पास नहीं है पर सूचना के अनुसार सिर्फ राजधानी पटना में 738 से ज्यादा डिजिटल प्लेटफॉर्म है जिन्हें प्रतिदिन 5 से 10 हजार लोग देखते हैं। बिहार में डिजिटल मीडिया के लिए कोई नियम कानून नहीं है ना ही कोई सरकारी सहायता है और ना ही कोई सरकारी संरक्षण हालांकि देश के कई प्रदेशों में डिजिटल मीडिया के पत्रकारों को मेंस्ट्रीम मीडिया के समानांतर मान्यता दी गई है और सुविधाएं भी। राजधानी पटना में अब डिजिटल मीडिया के पत्रकारों के पास बैठने का कोई जगह नहीं है राजद कार्यालय पटना का एक ऐसा सेंटर बन चुका था जहां दिनभर खबरों की भीड़ होती थी बगल में जदयू कार्यालय भाजपा कार्यालय सचिवालय से लेकर तमाम राजनीति के केंद्र भी उपलब्ध थे। राजधानी पटना को साफ सुथरा और अतिक्रमण मुक्त बनाने के लिए सरकार द्वारा की गई कार्रवाई बेहतर है पर यह कार्रवाई सिर्फ किसी खास इलाके तक सीमित नहीं होनी चाहिए राजधानी पटना में जिन इलाकों से अतिक्रमण हटता है 4 घंटे के बाद पुनः वह क्षेत्र अतिक्रमणकारियों के कब्जे में आ जाता है अतिक्रमण करने वाले लोगों को रसूख वाले का संरक्षण होता है जिन इलाकों में सरकार के नियम कानून की धज्जियां उड़ाई जाती है उसके पीछे में वे ही लोग शामिल होते हैं जो नियम और कानून बनाते हैं। खैर पटना जिला प्रशासन और राज्य सरकार को पटना के पत्रकारों के बैठने के लिए उसी इलाके में अविलंब जगह आवंटित करना चाहिए।