संक्षिप्त मॉनसून सत्र से पहले बुलाई गई बैठक में नेता प्रतिपक्ष विजय कुमार सिन्हा बीच में ही एकाएक बैठक से चले गये और बाहर मीडिया से इन्होंने बोला कि मैं कई मुद्दे उठाना चाहता था. इनमें विधानसभा में स्टाफ की नियुक्ति में अनियमितता, कुछ सदस्यों के विशेषाधिकार का हनन आदि मामला सम्मिलित है, लेकिन ऐसा लगता है कि अध्यक्ष सरकार के आदेश पर कार्य कर रहे हैं. हालांकि, बैठक में उपस्थित रहे संसदीय कार्य मंत्री विजय कुमार चौधरी ने बोला कि पूर्व विधानसभा अध्यक्ष होने के नाते सिन्हा को पता होना चाहिए कि पूर्व की बैठकों के रिकॉर्ड मांगने की परिपाटी नहीं रही है.
इस तरह की चीजें ना तो उनके दफ्तर में हुईं, ना ही मेरे दफ्तर में हुई.
बता दें कि जेडीयू के वरिष्ठ नेता विजय चौधरी वर्ष 2015 से 2020 तक विधानसभा अध्यक्ष भी रहे हैं. सिन्हा साल 2020 के विधानसभा चुनाव के बाद इस पद के लिए निर्वाचित हुए थे, लेकिन पिछले वर्ष अगस्त में इन्होंने पद से त्यागपत्र दे दिया, जब नीतीश कुमार ने एनडीए से अलग होने के बाद महागठबंधन के साथ मिलकर सरकार बनाई थी. महागठबंधन में जेडीयू के अलावा आरजेडी, कांग्रेस, वाम दल भी सम्मिलित हैं.
वहीं, इस पर कांग्रेस नेता शकील अहमद खान ने भी चौधरी के मत से सहमति जताते हुए बोला कि यह अजीब बात है कि सिन्हा रिकॉर्ड तलब करने पर जोर दे रहे थे, जबकि अध्यक्ष पद पर रहते हुए इन्होंने खुद इसकी इजाजत नहीं दी थी. ऐसा लगता है कि सुर्खियों में बने रहने की चाहत उन पर हावी हो गई है. आरजेडी नेता अख्तरउल इमान शाहीन ने भी सिन्हा पर ताना करते हुए बीजेपी के मौजूदा प्रदेश अध्यक्ष सम्राट चौधरी के साथ उनके ‘तू-तू मैं-मैं’ की तरफ इशारा किया.