सावन सोमवार का पहला व्रत 10 जुलाई को किया जाएगा। इस दिन रवि नामक सुंदर योग बन रहे हैं और पंचक काल भी समाप्त हो रहा है। पंडित पंकज झा शास्त्री ने बताया कि इस बार सावन के प्रथम सोमवार के दिन गुरु और चंद्रमा के एक राशि में होने पर गजकेसरी नामक शुभ योग भी बन रहा है, जिससे सावन के पहले सोमवार का महत्व बढ़ गया है। इसके साथ ही पुरुषोत्तम मास के स्वामी श्रीहरि हैं, जिससे सावन में हरि और हर दोनों की कृपा प्राप्त करने का शुभ संयोग बन रहा है।सावन का हर दिन शिव कृपा दिलाने में सहायक होता है। साथ ही मंगला गौरी के व्रत की संख्या भी नौ हो गई है और सावन में एकादशी व्रत की संख्या भी चार हो गई है।
पौराणिक कथाओं में वर्णन आता है कि इसी सावन मास में समुद्र मंथन किया गया था। समुद्र मथने के बाद जो हलाहल विष निकला, उसे भगवान शंकर ने कंठ में समाहित कर सृष्टि की रक्षा की; लेकिन विषपान से महादेव का कंठ नीलवर्ण हो गया। इसी से उनका नाम 'नीलकंठ महादेव' पड़ा। पंकज झा शास्त्री ने बताया कि विष के प्रभाव को कम करने के लिए सभी देवी-देवताओं ने उन्हें जल अर्पित किया। इसलिए शिवलिंग पर जल चढ़ाने का ख़ास महत्व है। यही वजह है कि श्रावण मास में भोले को जल चढ़ाने से विशेष फल की प्राप्ति होती है साथ ही इस सोमबार को शिवलिंग पर जल अर्पण उपरांत भस्म का लेप करने से कई भयावह रोगो से मुक्ति मिलने कि संभावना अधिक बढ़ जाती है।