पंडित अयोध्या शरण के अनुकूल उनकी जलन गंगाजल से शांत होती है इसलिए भक्त भोलेनाथ पर गंगाजल चढ़ाते हैं.
शास्त्रों में लिखा हुआ है 'जलधारा शिवम प्रियम' अर्थात भगवान भोलेनाथ को सबसे प्रिय गंगाजल है. उसके साथ भोलेनाथ की पूजा करने के लिए भक्त बेलपत्र चढ़ाते हैं. बेलपत्र का असर ठंडा होता है और वह भी विष नाशक है. बेलपत्र चढ़ाने से भी भगवान भोलेनाथ को शांति मिलती है. बेलपत्र में अष्टगंध या चंदन से राम राम लिखकर भगवान भोलेनाथ को चढ़ाया जाता है. पंडित अयोध्या शरण बोलते हैं कि भगवान भोलेनाथ के आराध्य देव भगवान विष्णु हैं और वह हमेशा भगवान विष्णु का नाम लेते रहते हैं इसलिए जो भी भक्त बेलपत्र में राम लिखते हैं उससे भोलेनाथ बहुत प्रसन्न होते हैं. उसके अलावा पुष्प, चंदन, अष्टगंध, भांग, धतूरा आदि से भगवान भोलेनाथ की पूजा करनी चाहिए. भक्तों को सावन महीने के सभी सोमवार को उपवास करना चाहिए.पंडित अयोध्या शरण ने बताया कि इस बार अधिमास मिलाकर कुल 59 दिनों में 8 सोमवार के व्रत होंगे. अगर कुंवारी लड़कियां हर सोमवार को व्रत करती हैं तो उन्हें मनचाहा वर मिलेगा. वहीं जो महिलाएं सभी सोमवारी करती हैं तो उनके पति और संतान दीर्घायु होंगे. और घर में सुख शांति बनी रहेगी.