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पशुपति पारस ने बोला- CM नीतीश को BJP से एलर्जी है, भाजपा नेता की मृत्यु और लाठीचार्ज पर दिया ये बड़ा वर्णन


संवाद 

लोक जनशक्ति पार्टी राष्ट्रीय के अध्यक्ष और केंद्रीय मंत्री पशुपति कुमार पारस (Pashupati Kumar Paras) ने बीजेपी के कार्यकर्ताओं और नेताओं पर पटना में गुरुवार (13 जुलाई) को हुए लाठीचार्ज की घोर बुराई की है. पशुपति पारस ने बोला कि बीजेपी कार्यकर्ताओं के द्वारा शिक्षकों की मांग, तेजस्वी यादव को पद से हटाने और बिहार में बिगड़ते लॉ एंड ऑर्डर जैसे मुद्दे को लेकर शांतिपूर्ण तरीके से विधानसभा मार्च किया गया था. डाकबंगला चौराहे पर बिहार सरकार की पुलिस ने बेरहमी से कार्यकर्ताओं पर लाठीचार्ज किया. आंसू गैस छोड़े. बीजेपी के कार्यकर्ता विजय सिंह की मृत्यु हो गई. उन्होंने बोला यह बहुत दुखद घटना है. प्रजातांत्रिक व्यवस्था में तानाशाही व्यवस्था नहीं होनी चाहिए.पशुपति पारस ने बोला कि 2005 से लेकर अभी तक नीतीश कुमार की सरकार में कई तरह के आंदोलन हुए, चाहे शिक्षकों का हो, सरकारी कर्मियों का हो या फिर पॉलिटिकल हो, सब में लाठीचार्ज हुआ लेकिन आज तक किसी का निदान नहीं हुआ. सांसद जनार्दन सिंह सिग्रीवाल, सुशील कुमार मोदी और कई बीजेपी के बड़े नेता की बेरहमी से पिटाई की गई है. यह काफी निंदनीय है.आगे जेपी आंदोलन को याद करते हुए पशुपति कुमार पारस ने बोला कि इसी तरह उस वक्त भी हुआ था जब इमरजेंसी के विरुद्ध लोग सड़क पर उतरे थे. लाठीचार्ज किया गया था. वही फिर देखने को मिला है. इन्होंने बोला कि बिहार सरकार के इशारे पर यह घटना घटी है. 

उन्होंने बिहार सरकार से मांग करते हुए बोला कि जिस पुलिस अधिकारी के द्वारा यह निर्देश दिया गया है

 लाठीचार्ज करने का उस पर कार्रवाई की जाए.पशुपति पारस ने बोला कि मुख्यमंत्री नीतीश कुमार एनडीए के साथ थे और 2022 में पाला बदलकर महागठबंधन में चले गए इसलिए उनको बीजेपी से एलर्जी है. यही वजह है कि एनडीए की जो भी डिमांड होती है उसका बिहार सरकार विरोध करती है. महिलाओं पर भी बेरहमी से लाठीचार्ज किया गया. देखने से यही लगा कि बिहार में सरकार नाम की कोई चीज नहीं है. इस तरह तानाशाही व्यवस्था के वजह से बिहार में प्रजातंत्र खत्म हो गया है.तेजस्वी यादव के त्यागपत्र पर पशुपति पारस ने बोला कि जिस दिन बिहार के उपमुख्यमंत्री पर चार्जशीट दायर की गई थी उसी दिन नीतीश कुमार को उनसे त्यागपत्र लेना चाहिए था. नीतीश कुमार 2015 से 2017 तक आरजेडी के साथ रहे. 2017 में जब तेजस्वी यादव पर लैंड फॉर जॉब का इल्जाम लगा उस शमय भी तेजस्वी यादव से जवाब मांगा गया था और जब नहीं मिला तो नीतीश कुमार अलग होकर बीजेपी में चले गए थे. उन्होंने बोला था जब तक मैं राजनीति में रहूंगा आरजेडी के साथ नहीं जाऊंगा. अब डिप्टी सीएम पर चार्जशीट के बाद नैतिकता के आधार पर उनको त्यागपत्र देना चाहिए. अगर वह त्यागपत्र नहीं देते हैं तो मुख्यमंत्री को उन्हें बर्खास्त करना चाहिए.

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