सुशील कुमार मोदी ने बोला कि शिक्षकों की नियुक्ति और उनके तनखाह का भुगतान पूरी तरह राज्य सरकार की जिम्मेदारी है. केंद्र सरकार इसमें केवल मदद करती है. इन्होंने बोला कि राज्य सरकार केंद्र से शिक्षक वेतन-मद में सहायता राशि न मिलने का दुष्प्रचार कर रही है, जबकि सच यह है कि बिहार सरकार ने पिछले वर्ष के खर्च का हिसाब और उपयोगिता प्रमाण पत्र ही नहीं दिया.सरकार पर आक्रमण करते हुए सुशील मोदी ने बोला कि जैसे ही राज्य सरकार उपयोगिता प्रमाण पत्र सौंपेगी, केंद्र से समग्र शिक्षा अभियान की सहायता राशि मिल जाएगी.
राज्य सरकार के खाते में अब भी 1000 करोड़ रुपये बिना खर्च हुए पड़े हैं.
इससे शिक्षकों को तनखाह दिया जा सकता है. अपनी नाकामी छुपाने के लिए केंद्र पर तथ्यहीन इल्जाम लगाना नीतीश सरकार की आदत बन गई है. यह सरकार शिक्षकों की पीठ पर लाठी चलाती है और वेतन रोक कर पेट पर लात मारती है.बता दें कि बिहार में 1,70,461 पदों पर शिक्षकों की बहाली होनी है. आवेदन की प्रक्रिया 15 जून से चल रही है. आवेदन की अंतिम तिथि भी बढ़ाई गई है. इसके पहले बहाली को लेकर प्रशांत किशोर भी आक्रमण कर चुके हैं. पीके ने बीपीएससी की कार्यप्रणाली को समझाते हुए बोला है कि अगर सरकार की नियमावली को ठीक मान भी लिया जाए तो बीपीएससी को करीब 2 लाख शिक्षकों की नियुक्ति करने में कम से कम 5 वर्ष लगेगा. नियोजित शिक्षकों के पास केवल 3 अवसर हैं. ये सीधे-सीधे लोगों को मूर्ख बनाया जा रहा है. अगर 4-4 लाख लोग तीन-बार परीक्षा देने जाएंगे तो 12 लाख लोगों की परीक्षा लेगा कौन? बोला कि जब मूर्ख व्यक्ति को नेता या मंत्री बना देंगे तो वो यही कार्य करेगा.