सरकार बताए कि मई 2016 में आखिर व्यवसायी आदित्य सचदेवा की कत्ल किसने की थी?
सुशील कुमार मोदी ने बोला कि दूसरी तरफ विधान सभा मार्च के दिन जब बीजेपी कार्यकर्ता विजय सिंह की मौत लाठीचार्ज से हुई, तब सरकार इसे हर्टअटैक बताने लगी. अब झूठी पोस्टमाटर्म रिपोर्ट भी जारी हो गई. घटना के थोड़ी देर बाद ही जब पुलिस और सत्तारूढ़ दल घटना को हर्टअटैक बताने लगे, तब किस मेडिकल आफिसर की हिम्मत थी कि सरकार की सलाह के विपरीत पोस्टमाटर्म रिपोर्ट देते.
बीजेपी नेता ने बोला कि यदि हिम्मत है तो नीतीश सरकार विजय सिंह की मौत की जांच-पड़ताल सीबीआई से कराए और रॉकी यादव को बरी किये जाने के निर्णय को सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दे.सरकार तो जहरीली शराब से मृत्यु और कत्ल तक को स्वाभाविक मृत्यु साबित करने का जुगाड़ किए बैठी है, ताकि अपराध के आंकड़ों से उसका चेहरा शर्मसार न हो. अब वो नीतीश कुमार नहीं रहे, जो बोलते थे कि सरकार न किसी को बचाती है, न किसी को फंसाती है. अब दोषी बचाये जा रहे हैं और बेगुनाह लोग फंसाये भी जा रहे हैं.